प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन: सिद्धांत, विकास और अनुप्रयोग (Programmed Instruction: Principles, Development & Applications)

प्रस्तावना:

प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन (PI), जिसे हिंदी में "क्रमबद्ध अनुदेश" या "अनुदेशित अधिगम" कहा जाता है, एक शैक्षिक तकनीक है जो सीखने की प्रक्रिया को छोटे, व्यवस्थित चरणों में विभाजित करके शिक्षार्थी को सक्रिय रूप से ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह शिक्षण की एक व्यवस्थित और स्व-गतिशील विधि है, जिसमें शिक्षार्थी अपनी गति से सीखता है और तत्काल प्रतिक्रिया प्राप्त करता है। प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन का मुख्य उद्देश्य सीखने को अधिक प्रभावी, व्यक्तिगत और रोचक बनाना है। यह लेख प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन के सिद्धांतों, विकास, विभिन्न मॉडलों, अनुप्रयोगों, लाभों, सीमाओं और भविष्य की संभावनाओं का विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत करता है।


प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन के सिद्धांत -

प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन कुछ मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

  1. सक्रिय भागीदारी का सिद्धांत: यह सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि शिक्षार्थी सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेता है। प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन शिक्षार्थी को प्रश्नों का उत्तर देने, अभ्यास करने और समस्याओं को हल करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे उनकी सीखने में सक्रियता बनी रहती है।
  2. तत्काल प्रतिक्रिया का सिद्धांत: यह सिद्धांत कहता है कि शिक्षार्थी को प्रत्येक चरण के बाद तुरंत प्रतिक्रिया मिलनी चाहिए। प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन शिक्षार्थी को सही उत्तर या अगली जानकारी तुरंत प्रदान करता है, जिससे उन्हें अपनी गलतियों का पता चलता है और सही उत्तर तक पहुंचने में मदद मिलती है।
  3. स्व-गति का सिद्धांत: यह सिद्धांत शिक्षार्थी को अपनी गति से सीखने की अनुमति देता है। प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन शिक्षार्थी को अपनी आवश्यकतानुसार सामग्री को दोहराने और अपनी गति से आगे बढ़ने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
  4. छोटे चरणों का सिद्धांत: यह सिद्धांत विषय वस्तु को छोटे, प्रबंधनीय चरणों में विभाजित करने पर जोर देता है। प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन जानकारी को छोटे-छोटे इकाइयों में प्रस्तुत करता है, जिससे शिक्षार्थी को जानकारी को आसानी से समझने और आत्मसात करने में मदद मिलती है।
  5. त्रुटि सुधार का सिद्धांत: यह सिद्धांत शिक्षार्थी को अपनी गलतियों से सीखने का अवसर प्रदान करता है। प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन शिक्षार्थी को गलत उत्तर देने पर सही उत्तर की जानकारी प्रदान करता है और उन्हें अपनी गलतियों को सुधारने का मौका देता है।
  6. पुनर्बलन का सिद्धांत: यह सिद्धांत सही उत्तर देने पर शिक्षार्थी को सकारात्मक पुनर्बलन प्रदान करने पर जोर देता है। प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन शिक्षार्थी को सही उत्तर देने पर प्रशंसा या प्रोत्साहन प्रदान करता है, जो उन्हें सीखने के लिए प्रेरित करता है।


प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन का विकास:

प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन का विकास बी.एफ. स्किनर के कार्यों से प्रेरित है। स्किनर, जिन्हें व्यवहारवाद का जनक माना जाता है, ने सीखने की प्रक्रिया को छोटे-छोटे चरणों में विभाजित करके और शिक्षार्थी को तत्काल प्रतिक्रिया प्रदान करके सीखने को अधिक प्रभावी बनाने का विचार प्रस्तुत किया। उन्होंने जानवरों पर किए गए अपने प्रयोगों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि सीखने की प्रक्रिया को पुनर्बलन और प्रतिक्रिया के माध्यम से आकार दिया जा सकता है। स्किनर ने इस विचार को प्रोग्राम्ड लर्निंग में लागू किया, जिसमें विषय वस्तु को छोटे-छोटे चरणों में प्रस्तुत किया जाता है, और प्रत्येक चरण के बाद शिक्षार्थी से प्रश्न पूछे जाते हैं। सही उत्तर देने पर उन्हें आगे बढ़ने दिया जाता है, और गलत उत्तर देने पर उन्हें सही उत्तर बताया जाता है।

1950 के दशक में, स्किनर ने प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन सामग्री विकसित करने के लिए शिक्षण मशीनों का उपयोग किया। इन मशीनों में एक खिड़की होती थी जिसमें प्रश्न प्रदर्शित होते थे, और शिक्षार्थी को सही उत्तर चुनना होता था। सही उत्तर चुनने पर मशीन अगला प्रश्न प्रदर्शित करती थी, और गलत उत्तर चुनने पर मशीन उन्हें सही उत्तर बताती थी।

समय के साथ, प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन के विभिन्न मॉडल विकसित हुए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मॉडल इस प्रकार हैं:

  • रेखीय प्रोग्रामिंग: इस मॉडल में, सभी शिक्षार्थी एक ही क्रम में सामग्री का अध्ययन करते हैं। प्रत्येक चरण एक नई जानकारी प्रस्तुत करता है, और शिक्षार्थी को उस पर आधारित प्रश्न का उत्तर देना होता है।
  • शाखीय प्रोग्रामिंग: इस मॉडल में, शिक्षार्थी के उत्तर के आधार पर उसे अलग-अलग शाखाओं में भेजा जाता है। यदि उत्तर सही होता है, तो उसे अगले चरण में भेजा जाता है। यदि उत्तर गलत होता है, तो उसे संबंधित जानकारी प्रदान की जाती है और उसे दोबारा प्रयास करने का अवसर दिया जाता है।
  • मैथेटिक्स: यह मॉडल सीखने की प्रक्रिया को गणितीय रूप से प्रदर्शित करने पर जोर देता है। इसमें सीखने के लक्ष्यों को छोटे-छोटे उप-लक्ष्यों में विभाजित किया जाता है, और प्रत्येक उप-लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक निश्चित संख्या में प्रश्नों का उत्तर देना होता है।


प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन के अनुप्रयोग: -

प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • शिक्षा: प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन का उपयोग स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों को पढ़ाने के लिए किया जा सकता है। यह विशेष रूप से गणित, विज्ञान और भाषा जैसे विषयों के लिए उपयोगी है।
  • प्रशिक्षण: इसका उपयोग उद्योगों और संगठनों में कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए किया जा सकता है। यह नई प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं के बारे में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक प्रभावी उपकरण है।
  • स्व-अध्ययन: प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन सामग्री का उपयोग शिक्षार्थी द्वारा स्वयं अध्ययन करने के लिए किया जा सकता है। यह उन शिक्षार्थियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो दूर रहते हैं या जिनके पास कक्षाओं में जाने का समय नहीं है।
  • दूरस्थ शिक्षा: इसका उपयोग दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों में शिक्षार्थियों को पढ़ाने के लिए किया जा सकता है। यह दूरस्थ शिक्षा को अधिक प्रभावी और व्यक्तिगत बनाने में मदद करता है।
  • विशेष शिक्षा: प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन विशेष आवश्यकताओं वाले शिक्षार्थियों को पढ़ाने के लिए एक प्रभावी उपकरण हो सकता है। यह उन शिक्षार्थियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जिन्हें अपनी गति से सीखने की आवश्यकता होती है।


प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन के लाभ:

प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन के कई लाभ हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • प्रभावी शिक्षण: यह सीखने की एक प्रभावी विधि है जो शिक्षार्थियों को सक्रिय रूप से ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  • व्यक्तिगत शिक्षण: यह शिक्षार्थी की व्यक्तिगत आवश्यकताओं और क्षमताओं के अनुसार सीखने का अवसर प्रदान करता है।
  • स्व-गति: शिक्षार्थी अपनी गति से सीखता है और अपनी आवश्यकतानुसार सामग्री को दोहरा सकता है।
  • तत्काल प्रतिक्रिया: शिक्षार्थी को प्रत्येक चरण के बाद तुरंत प्रतिक्रिया मिलती है, जिससे उसे अपनी गलतियों का पता चलता है और सही उत्तर तक पहुंचने में मदद मिलती है।
  • त्रुटि सुधार: शिक्षार्थी को अपनी गलतियों से सीखने का अवसर मिलता है।
  • प्रेरणा: प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन सीखने को अधिक रोचक और प्रेरक बना सकता है।
  • आत्मविश्वास में वृद्धि: जब शिक्षार्थी सफलतापूर्वक प्रोग्राम्ड लर्निंग मॉड्यूल को पूरा करते हैं, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • सीखने में रुचि पैदा करना: प्रोग्राम्ड लर्निंग पारंपरिक शिक्षण विधियों की तुलना में अधिक रोचक और गतिशील होती है। यह शिक्षार्थियों को सीखने में अधिक रुचि पैदा करने में मदद करता है।


प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन की सीमाएं:

प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन की कुछ सीमाएं भी हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • समय और लागत: प्रोग्राम्ड लर्निंग सामग्री को विकसित करने में समय और लागत लग सकती है। अच्छी गुणवत्ता वाली प्रोग्राम्ड लर्निंग सामग्री को विकसित करने के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है, जिसमें समय और धन लगता है।
  • रचनात्मकता की कमी: कुछ लोगों का मानना है कि प्रोग्राम्ड लर्निंग रचनात्मकता को बढ़ावा नहीं देता है। यह शिक्षार्थियों को रचनात्मक रूप से सोचने और समस्याओं को हल करने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान नहीं कर सकता है।
  • सामाजिक संपर्क की कमी: प्रोग्राम्ड लर्निंग में शिक्षार्थियों के बीच सामाजिक संपर्क कम हो सकता है। यह उन शिक्षार्थियों के लिए समस्या हो सकता है जो सामाजिक रूप से सीखना पसंद करते हैं।
  • सभी विषयों के लिए उपयुक्त नहीं: प्रोग्राम्ड लर्निंग सभी विषयों के लिए उपयुक्त नहीं है। यह कुछ विषयों के लिए अधिक प्रभावी है, जैसे कि गणित, विज्ञान और भाषा। हालांकि, यह उन विषयों के लिए उतना प्रभावी नहीं हो सकता है जिनमें रचनात्मकता और सामाजिक संपर्क की अधिक आवश्यकता होती है।
  • शिक्षकों की भूमिका में बदलाव: प्रोग्राम्ड लर्निंग के उपयोग से शिक्षकों की भूमिका में बदलाव आता है। शिक्षकों को अब पारंपरिक रूप से ज्ञान प्रदान करने की जगह शिक्षार्थियों को सीखने में मार्गदर्शन करने की भूमिका निभानी होती है। इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
  • मूल्यांकन की कठिनाई: कुछ विषयों में प्रोग्राम्ड लर्निंग के माध्यम से सीखने के परिणामों का मूल्यांकन करना कठिन हो सकता है। विशेष रूप से उन विषयों में जिनमें उच्च स्तरीय सोच और समस्या समाधान कौशल की आवश्यकता होती है।


प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन का भविष्य:

प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन का भविष्य उज्जवल है। कंप्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से प्रोग्राम्ड लर्निंग सामग्री को अधिक उपलब्ध और इंटरैक्टिव बनाया जा सकता है। आने वाले समय में हम निम्नलिखित प्रवृत्तियों को देख सकते हैं:

  • अधिक इंटरैक्टिव सामग्री: प्रौद्योगिकी के उपयोग से प्रोग्राम्ड लर्निंग सामग्री को अधिक इंटरैक्टिव और रोचक बनाया जा सकता है। इसमें वीडियो, ऑडियो और सिमुलेशन जैसे मल्टीमीडिया तत्वों का उपयोग किया जा सकता है।
  • अनुकूलित सीखने के अनुभव: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के उपयोग से शिक्षार्थियों के लिए अधिक अनुकूलित सीखने के अनुभव प्रदान किए जा सकते हैं। सिस्टम शिक्षार्थी की प्रगति और जरूरतों के आधार पर सामग्री और गतिविधि को अनुकूलित कर सकेगा।
  • मोबाइल लर्निंग: मोबाइल उपकरणों के उपयोग से प्रोग्राम्ड लर्निंग सामग्री को कहीं भी और कभी भी उपलब्ध कराया जा सकेगा। यह शिक्षार्थियों को अपनी सुविधा के अनुसार सीखने की अनुमति देगा।
  • गेमिफिकेशन: गेमिफिकेशन तत्वों का उपयोग प्रोग्राम्ड लर्निंग को अधिक रोचक और प्रेरक बना सकता है। बैज, अंक और लीडरबोर्ड जैसे तत्व शिक्षार्थियों को सीखने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
  • वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR): VR और AR जैसी तकनीकों का उपयोग करके प्रोग्राम्ड लर्निंग को और भी अधिक immersive और interactive बनाया जा सकता है। ये तकनीकें शिक्षार्थियों को एक आभासी वातावरण में सीखने का अनुभव प्रदान कर सकती हैं, जिससे उनकी सीखने की प्रक्रिया अधिक प्रभावी और रोचक बन सकती है।


निष्कर्ष:

प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन एक शक्तिशाली शिक्षण विधि है जो सीखने को अधिक प्रभावी, व्यक्तिगत और रोचक बनाती है। यह शिक्षार्थियों को सक्रिय रूप से सीखने और अपनी गलतियों से सीखने का अवसर प्रदान करता है। हालांकि, इसकी कुछ सीमाएं भी हैं, और इसका उपयोग करते समय इन पर विचार करना आवश्यक है। प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन का भविष्य उज्जवल है, और यह शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। यह पारंपरिक शिक्षण विधियों का एक मूल्यवान पूरक है, जो शिक्षार्थियों को अधिक प्रभावी और कुशल तरीके से सीखने में मदद करता है। इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है, और यह विशेष रूप से उन शिक्षार्थियों के लिए उपयोगी है जिन्हें अपनी गति से सीखने की आवश्यकता होती है, या जिन्हें कुछ विषयों को समझने में अधिक समय लगता है। प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन शिक्षकों को भी अपनी भूमिका को बदलने और शिक्षार्थियों को सीखने में अधिक प्रभावी ढंग से मार्गदर्शन करने में मदद करता है। कुल मिलाकर, प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन एक महत्वपूर्ण शैक्षिक तकनीक है जिसमें शिक्षा और प्रशिक्षण के भविष्य को आकार देने की क्षमता है। इसके निरंतर विकास और अनुसंधान से हम भविष्य में और अधिक प्रभावी और व्यक्तिगत प्रोग्राम्ड लर्निंग अनुभवों की उम्मीद कर सकते हैं।





संबंधित लेख —

Phycology Related Articles  -




(Education And Adjustment Of Exceptional Children)







टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

महात्मा गांधी का शिक्षा दर्शन (Educational Philosophy Of Mahatma Gandhi)

अधिगम के सिद्धांत (Theories Of learning) ( Behaviorist - Thorndike, Pavlov, Skinner)

अधिगम की अवधारणा (Concept Of Learning)

बन्डुरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत (Social Learning Theory Of Bandura)

बुद्धि की अवधारणा — अर्थ, परिभाषा, प्रकार व सिद्धांत (Concept Of Intelligence)

विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग या राधाकृष्णन कमीशन (1948-49) University Education Commission

माध्यमिक शिक्षा आयोग या मुदालियर कमीशन: (1952-1953) SECONDARY EDUCATION COMMISSION

व्याख्यान विधि (Lecture Method)

विशिष्ट बालक - बालिका (Exceptional Children)

शिक्षा का अर्थ एवं अवधारणा (Meaning & Concept Of Education)