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पश्चिमी दार्शनिक प्रणाली (Western Philosophical System)

  पश्चिमी दार्शनिक प्रणाली (Western Philosophical System) दर्शन सम्प्रदायों में पाश्चात्य भारतीय को दर्शन किया गया है जिसमें पाश्चात्य दर्शन के ऊर्ध्वाधर विकास का अनुसरण करता है क्योंकि पाश्चात्य दर्शन का विकास आश्चर्यजनक वस्तुओं एवं क्रियाओं को देखने से उत्पन्न कौतूहल (जिज्ञासा) को शान्त करने के प्रत्यय के रूप में हुआ है तथा पाश्चात्य दर्शन में मूल्य मीमांसा या तत्त्व मीमांसा के पहलुओं के प्रति बौद्धिक उत्सुकता पाई जाती है। पाश्चात्य दर्शन का उद्भव स्वयं को जानो से हुआ है जिसका उल्लेख अपोलो के मन्दिर में लिखे लेख में मिलता है। अतः पाश्चात्य दार्शनिक सम्प्रदायों को समझने के लिए हमें इसके इतिहास पर प्रकाश डालना अति आवश्यक है। इस अवधारणा को ध्यान में रखते हुए हम विभिन्न पाश्चात्य सम्प्रदायों के दर्शन का वर्णन आगे करने जा रहे हैं -