रचनावाद और उदार दृष्टिकोण (Constructivism and Eclectic approach)
रचनावाद का मूल सिद्धांत है कि ज्ञान व्यक्तिपरक और सक्रिय रूप से निर्मित होता है। इसका अर्थ है कि ज्ञान किसी बाहरी स्रोत से सीधे हस्तांतरित नहीं होता, बल्कि व्यक्ति अपने अनुभवों, व्याख्याओं और संसार के साथ होने वाली अंतःक्रियाओं के माध्यम से खुद ज्ञान का निर्माण करता है। उदाहरण के लिए, कोई छात्र यह नहीं सीखता कि गुरुत्वाकर्षण क्या है सिर्फ किताब में पढ़कर, बल्कि किसी गेंद को हवा में फेंकने और उसे वापस गिरते देखने के अनुभव से इस अवधारणा को समझने का प्रयास करता है।
सीखने की प्रक्रिया को सक्रिय और अनुभवात्मक मानते हुए, रचनावादी शिक्षा छात्रों को खोज, प्रयोग और सहयोग के माध्यम से सीखने के लिए प्रोत्साहित करती है। शिक्षक उनकी सीखने की यात्रा में मार्गदर्शक और सहायक की भूमिका निभाते हैं, छात्रों को उनके अनुभवों को शब्दों में व्यक्त करने, परिकल्पना बनाने, और उनके ज्ञान का निर्माण करने में सहायता प्रदान करते हैं।
रचनावादी शिक्षा का लक्ष्य छात्रों को समझ और अर्थ निर्माण में सक्षम बनाना है। इसमें छात्रों को महत्वपूर्ण सोच, समस्या समाधान, रचनात्मकता और अभिनवता जैसे महत्वपूर्ण कौशल विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। सीखने की यह सक्रिय प्रकृति छात्रों को अधिक सक्रिय और स्वतंत्र रूप से सीखने में सक्षम बनाती है।
उदार दृष्टिकोण में, ज्ञान को वस्तुनिष्ठ और निष्क्रिय रूप से प्राप्त माना जाता है। इसका अर्थ है कि ज्ञान पहले से ही बाहरी दुनिया में मौजूद है और छात्रों को इसे ग्रहण करना होता है। उदाहरण के लिए, इस दृष्टिकोण के अनुसार, भौगोलिक तथ्यों को सीखने के लिए, छात्रों को मानचित्र और पाठ्यपुस्तक से तथ्यों को सीधे अपनी स्मृति में अंकित करना होता है।
उदार दृष्टिकोण में सीखने को एक निष्क्रिय और ग्रहणशील प्रक्रिया माना जाता है। शिक्षक को ज्ञान का डिस्पेंसर माना जाता है, जो छात्रों को व्याख्यान, पाठ्यपुस्तक और लिखित परीक्षणों के माध्यम से ज्ञान का वितरण करता है। छात्रों से अपेक्षा की जाती है कि वे निष्क्रिय रूप से जानकारी को सुनें, पढ़ें, और याद रखें।
उदार दृष्टिकोण का लक्ष्य छात्रों को ज्ञान का संचय और उसे याद रखना सिखाना है। इस दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण सोच, कौशल विकास और रचनात्मकता पर कम जोर दिया जाता है। हालांकि लागू करने में सरल होने के कारण, यह दृष्टिकोण कभी-कभी छात्रों को निष्क्रिय सीखने के ढर्रे में फंसा सकता है और गहन समझ हासिल करने में बाधा बन सकता है।
दोनों दृष्टिकोणों के बीच तुलना:-
विशेषता | रचनावाद | उदार दृष्टिकोण |
---|---|---|
ज्ञान की प्रकृति | व्यक्तिपरक और सक्रिय रूप से निर्मित | वस्तुनिष्ठ और निष्क्रिय रूप से प्राप्त |
सीखने की प्रक्रिया | सक्रिय और अनुभवात्मक | निष्क्रिय और ग्रहणशील |
शिक्षक की भूमिका | मार्गदर्शक और सहायक | ज्ञान का वितरक |
छात्र की भूमिका | सक्रिय भागीदार | निष्क्रिय प्राप्तकर्ता |
शिक्षण का लक्ष्य | समझ और अर्थ निर्माण | ज्ञान का संचय |
दोनों दृष्टिकोणों के लाभ और कमियां
रचनावाद:
लाभ:
- छात्रों को अधिक सक्रिय और व्यस्त बनाता है
- छात्रों को महत्वपूर्ण सोच और समस्या समाधान कौशल विकसित करने में मदद करता है
- छात्रों को अपनी समझ बनाने में मदद करता है
कमियां:
- अधिक समय और प्रयास की आवश्यकता होती है
- सभी छात्रों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है
- मूल्यांकन करना मुश्किल हो सकता है
उदार दृष्टिकोण:
लाभ:
- सरल और लागू करने में आसान
- सभी छात्रों के लिए उपयुक्त
- मूल्यांकन करना आसान
कमियां:
- छात्रों को निष्क्रिय और गैर-व्यस्त बना सकता है
- छात्रों को महत्वपूर्ण सोच और समस्या समाधान कौशल विकसित करने में मदद नहीं करता है
- छात्रों को rote learning पर निर्भर बना सकता है
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