जॉन डीवी का शैक्षिक दर्शन (Educational Philosophyh Of John Dewey)
जॉन डीवी का शैक्षिक दर्शन: एक विस्तृत विवरण
प्रस्तावना:
जॉन डीवी (1859-1952) बीसवीं सदी के अमेरिकी दार्शनिक और शिक्षाशास्त्री थे, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके विचारों को "प्रगतिवादी शिक्षा" के रूप में जाना जाता है।
डीवी के शिक्षा संबंधी चिंतन के प्रमुख सिद्धांत:
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अनुभव द्वारा सीखना (Learning by Doing): डीवी का मानना था कि छात्रों को केवल किताबों से पढ़कर नहीं, बल्कि करके सीखना चाहिए। उनका जोर "सीखने की क्रिया" पर था, न कि केवल ज्ञान के निष्क्रिय ग्रहण पर।
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गतिविधि का सिद्धांत (Principle of Activity): डीवी गतिविधि को सीखने का मूल मानते थे। उनका मानना था कि पाठ्यक्रम को इस तरह से डिजाइन किया जाना चाहिए कि छात्र सक्रिय रूप से इसमें भाग लें।
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प्रगमैटिक शिक्षा (Pragmatic Education): डीवी प्रगमैटिक दर्शन से प्रभावित थे, जो इस बात पर जोर देता है कि ज्ञान का मूल्यांकन उसके व्यावहारिक अनुप्रयोगों के आधार पर किया जाना चाहिए।
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लोकतंत्र और शिक्षा (Democracy and Education): डीवी का मानना था कि लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए शिक्षा आवश्यक है।
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बच्चे का सम्मान (Respect for the Child): डीवी ने जोर दिया कि शिक्षा को बच्चे की जिज्ञासा, रुचियों और जरूरतों पर आधारित होना चाहिए।
डीवी के शिक्षा दर्शन के कुछ प्रमुख पहलू:
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सीखने की प्रकृति: डीवी का मानना था कि सीखना एक सक्रिय प्रक्रिया है जो अनुभव से उत्पन्न होती है। छात्रों को न केवल तथ्यों को याद रखना चाहिए, बल्कि उन्हें उन तथ्यों को समझना चाहिए और उनका उपयोग करना चाहिए।
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पाठ्यक्रम: डीवी का मानना था कि पाठ्यक्रम को छात्रों की रुचियों और जरूरतों के अनुरूप होना चाहिए। इसमें विभिन्न विषयों का समावेश होना चाहिए और यह छात्रों को महत्वपूर्ण सोच, समस्या-समाधान और सहयोग कौशल विकसित करने में मदद करना चाहिए।
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शिक्षण विधि: डीवी का मानना था कि शिक्षण विधि को छात्रों को सक्रिय रूप से सीखने में शामिल करने के लिए डिज़ाइन किया जाना चाहिए। इसमें व्याख्यान, चर्चा, प्रयोग, परियोजनाएं और सामुदायिक सेवा आदि शामिल हो सकते हैं।
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शिक्षक की भूमिका: डीवी का मानना था कि शिक्षक को एक मार्गदर्शक और सुविधाकर्ता के रूप में कार्य करना चाहिए। शिक्षक को छात्रों को सीखने में मदद करनी चाहिए, न कि उन्हें केवल निर्देश देना चाहिए।
डीवी के शिक्षा दर्शन का प्रभाव:
डीवी के शिक्षा दर्शन का दुनिया भर में शिक्षा सुधारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। उनके विचारों ने प्रगतिवादी शिक्षा आंदोलन को जन्म दिया, जो आज भी शिक्षा में एक महत्वपूर्ण शक्ति है।
डीवी के शिक्षा दर्शन की आलोचना:
डीवी के शिक्षा दर्शन की भी आलोचना हुई है। कुछ का मानना है कि उनका अनुभवजन्य दृष्टिकोण बुनियादी कौशल और तथ्यों को सीखने को कम महत्व देता है। दूसरों का तर्क है कि उनका लोकतांत्रिक आदर्शों पर जोर देना राजनीतिकरण की ओर ले जा सकता है।
निष्कर्ष:
जॉन डीवी एक प्रभावशाली शिक्षाशास्त्री थे जिन्होंने शिक्षा के बारे में हमारी सोच को बदल दिया। उनके विचारों ने दुनिया भर में शिक्षा को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि डीवी के शिक्षा दर्शन की कई व्याख्याएं हैं। कुछ शिक्षाविद उनके विचारों को अधिक रूढ़िवादी तरीके से लागू करते हैं, जबकि अन्य अधिक प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाते हैं।
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