लेव वैगोत्स्की का सामाजिक का विकास का सिद्धांत (Lev Vygotsky's Sociocultural Theory of Development:)

सामाजिक विकास का सिद्धांत (वैगोत्स्की) -

लेव वाइगोत्स्की, 20वीं सदी के प्रसिद्ध रूसी मनोवैज्ञानिक थे, जिन्होंने सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत प्रस्तुत किया। यह सिद्धांत बाल विकास, खासकर संज्ञानात्मक विकास को समझने का एक नया दृष्टिकोण था। वाइगोत्स्की का मानना था कि व्यक्तिगत विकास सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ में होता है, न कि किसी बच्चे के भीतर अलग-थलग होकर। इस सिद्धांत को समझने के लिए कुछ महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं:


1. सामाजिक अंतःक्रिया (Interaction): 

वाइगोत्स्की के अनुसार, बच्चों का संज्ञानात्मक विकास अनुभवी व्यक्तियों के साथ सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से होता है। माता-पिता, शिक्षक, साथी आदि अधिक ज्ञानी और सक्षम लोगों के सहयोग से बच्चे सोचने, समस्या सुलझाने और सीखने का तरीका सीखते हैं। यह सहयोगी शिक्षा "मचान" की तरह काम करती है, जहां अधिक सक्षम व्यक्ति बच्चे को कार्य सीखने में समर्थन देता है, लेकिन धीरे-धीरे स्वतंत्रता बढ़ाता है, जब तक बच्चा स्वयं कार्य पूरा करने में सक्षम न हो जाए।


2. निकटतम विकास का क्षेत्र 
(Zone of Proximal Development - ZPD):
यह अवधारणा यह बताती है कि हर बच्चे में दो स्तर के संज्ञानात्मक विकास होते हैं:
  • वास्तविक विकास स्तर (Actual Development Level - ADL): वह कार्य जो बच्चा स्वयं कर सकता है।

  • संभावित विकास स्तर (Potential Development Level - PDL): वह कार्य जो बच्चे को किसी अधिक जानकार व्यक्ति के सहयोग से पूरा करने में सक्षम बनाया जा सकता है।

ZPD वह अंतराल है जो ADL और PDL के बीच होता है। यह क्षेत्र सीखने की क्षमता को दर्शाता है। शिक्षकों और अभिभावकों को इस क्षेत्र को पहचानकर बच्चे को ज़रूरी समर्थन देना चाहिए।


3. भाषा का महत्व: 

वाइगोत्स्की भाषा को सीखने और सोचने का एक उपकरण मानते थे। सामाजिक अंतःक्रियाओं के दौरान भाषा के माध्यम से जटिल अवधारणाएँ समझायी जाती हैं, समस्याओं को हल किया जाता है और सोच-समझ विकसित होती है। बच्चे आंतरिक वार्ता (Inner Speech) के माध्यम से भी भाषा का उपयोग करते हैं जो उनके सोचने के तरीके को प्रभावित करती है।


4. संस्कृति का प्रभाव: 

वाइगोत्स्की के अनुसार, हर संस्कृति के अपने उपकरण और प्रथाएँ होती हैं जो सोचने के तरीके को आकार देती हैं। उदाहरण के लिए, औपचारिक शिक्षा प्रणाली, कहानियाँ, कला, और प्रतीक सभी सांस्कृतिक प्रभाव हैं जो सोच को प्रभावित करते हैं। इन सांस्कृतिक उपकरणों का उपयोग करके बच्चे सोचने और सीखने के नए तरीके सीखते हैं।


सिद्धांत के निहितार्थ:

वाइगोत्स्की का सिद्धांत शिक्षा और सीखने के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसके कुछ निहितार्थ हैं:

  • शिक्षा को सामाजिक वातावरण में डिजाइन किया जाना चाहिए, जहाँ बच्चे सहयोग और बातचीत के माध्यम से सीख सकें।
  • शिक्षकों को छात्रों के ZPD को पहचानना चाहिए और उन्हें उचित स्तर की चुनौती और समर्थन देना चाहिए।
  • भाषा सीखने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि यह सोच का आधार है।
  • शिक्षा को सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील होना चाहिए और विभिन्न संस्कृतियों के उपकरणों और प्रथाओं का लाभ उठाना चाहिए।

वाइगोत्स्की के सिद्धांत को शिक्षा में कैसे लागू किया जाता है, इसके कुछ उदाहरण:

  • सहयोगात्मक शिक्षण: छात्रों को कार्यों पर एक साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जो उन्हें विचारों को साझा करने, एक-दूसरे से सीखने और ZPD से लाभान्वित होने की अनुमति देता है।
  • समकक्ष ट्यूटरिंग: छात्रों को अधिक जानकार साथियों के साथ जोड़ा जाता है जो उन्हें मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान कर सकते हैं।
  • समस्या-आधारित शिक्षण: छात्रों को वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने के लिए प्रस्तुत किया जाता है, जो उन्हें गंभीर रूप से और सहयोगात्मक रूप से सोचने के लिए प्रोत्साहित करता है
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: प्रौद्योगिकी का उपयोग छात्रों को सूचना और संसाधनों तक पहुंच प्रदान करने के साथ-साथ संचार और सहयोग की सुविधा प्रदान करने के लिए किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

वायगोत्स्की का सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत यह समझने के लिए एक मूल्यवान रूपरेखा है कि बच्चे कैसे सीखते हैं और विकसित होते हैं। यह संज्ञानात्मक विकास में सामाजिक संपर्क, संस्कृति और उपकरणों के महत्व पर जोर देता है। इन कारकों को समझकर, शिक्षक सभी बच्चों के लिए अधिक प्रभावी शिक्षण वातावरण बना सकते हैं।


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