बुद्धि लब्धि की अवधारणा और बुद्धि का मापन (Concept of I.Q & Measurement of Intelligence)
आशय -
बाह्य व्यवहार द्वारा मानसिक योग्यता, संज्ञानात्मक परिपक्वता और समायोजन की क्षमता का मापन बुद्धि मापन कहलाता है । बुद्धि मापन का कार्य विभिन्न प्रकार के परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है। इस परीक्षणों में सम्मिलित पदों की प्रकृति व प्रकार के आधार पर बुद्धि लब्धि सूचकांक तैयार किया जाता है।
बुद्धि मापांक के अवयव
( Components of Intelligence Quotient )
1. तैथिक या कालक्रमिक आयु (Chronological Age)-
2. मानसिक आयु (Mental Age) -
सर्वप्रथम 1905 में अल्फ्रेड बिने तथा थियोडोर साइमन (Theodore Simon) ने औपचारिक रूप में बुद्धि के मापन का सफल किया। 1908 में अपनी मापनी का संशोधन करते समय उन्होंने मानसिक आयु (Mental Age) का संप्रत्यय दिया। मानसिक आयु के माप का अभिप्राय है, किसी व्यक्ति के मानसिक परिपक्वता का सूचकांक अर्थात किसी व्यक्ति का बौद्धिक विकास अपनी आयु वर्ग के अन्य व्यक्तियों की तुलना में कितना हुआ है। यदि किसी बच्चे की मानसिक आयु 5 वर्ष है तो इसका अर्थ है कि किसी बुद्धि परीक्षण पर उस बच्चे का निष्पादन 5 वर्ष वाले बच्चे के औसत निष्पादन के बराबर है।
3. बुद्धि लब्धि (Intelligence Quotient ,IQ)-
1912 में विलियम स्टर्न ने बुद्धि को मापने के लिए मानसिक लब्धि के संप्रत्यय का विकास किया जिसका सूत्र निम्न प्रकार से है।
मानसिक लब्धि (I.Q) = [मानसिक आयु/तिथिक आयु] X 100
I.Q = [Mental Age/Chronological Age] X 100
अर्थात् किसी व्यक्ति की मानसिक आयु को उसकी कालानुक्रमिक आयु से भाग देने के बाद उसको 100 से गुणा करने से उसकी बुद्धि लब्धि प्राप्त जाती है। गुणा करने में 100 की संख्या का उपयोग दशमलव बिन्दु समाप्त करने के लिए किया जाता है ।
इस सूत्र के माध्यम से बुद्धि लब्धि के मापन में तीन प्रकार की स्थितियाँ हो सकती है -
1. जब मानसिक आयु (MA), कालानुक्रमिक आयु (CA) के समान हो तो IQ 100 होगा।
2. जब मानसिक आयु (MA) > कालानुक्रमिक आयु (CA) तो IQ का मान 100 से अधिक होगा।
3. जब मानसिक आयु (MA) < कालानुक्रमिक आयु (CA) तो IQ का मान 100 से कम होगा।
उदाहरण के लिए लिए एक 8 वर्ष के बच्चे की मानसिक आयु (MA) 10 वर्ष हो तो उसकी I.Q (6/8*100) यानी 125 होगा। परन्तु उसी बच्चे की मानसिक आयु यदि 6 वर्ष होती तो उसकी बुद्धि लब्धि 75 ( 6x100 / 8 ) होती । प्रत्येक आयु स्तर पर व्यक्तियों की समष्टि की औसत बुद्धि लब्धि 100 होती है।
- किसी परीक्षण पर किसी व्यक्ति का खराब प्रदर्शन, उसके निष्पादन व आत्मसम्मान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
- परीक्षण द्वारा माता-पिता, अध्यापकों तथा बड़ों के भेद-भावपूर्ण आचरण को बढ़ावा मि का भय बना रहता है।
- मध्यवर्गीय और उच्चवर्गीय जनसंख्याओं के पक्ष में अभिनत बुद्धि परीक्षण समाज के सुविधावंचित समूहों से आने वाले बच्चों की IQ को कम आंकने की सम्भावना बनी रहती है।
- बुद्धि परीक्षण सृजनात्मक संभाव्यताओं और बुद्धि के व्यावहारिक पक्ष का माप नहीं कर पाता है और उनका जीवन में सफलता से ज्यादा संबंध नहीं होता।
- बुद्धि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियों का एक संभाव्य कारक हो सकती है।
मौखिक, अमौखिक और कार्यप्रदर्शन परीक्षण
बुद्धि लब्धि का आकलन करने के लिए कई अलग-अलग परीक्षण मौजूद हैं, जिन्हें मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
1. मौखिक परीक्षण:
- ये परीक्षण भाषा से संबंधित कौशल, जैसे शब्दावली, समझ, तर्क, और भाषा कौशल का मूल्यांकन करते हैं।
- उदाहरण: वीचस्लर एडल्ट इंटेलिजेंस स्केल (WAIS) - चौथा संस्करण
2. अमौखिक परीक्षण:
- ये परीक्षण भाषा से स्वतंत्र कौशल का आकलन करते हैं, जैसे स्थानिक तर्क, दृश्य धारणा, और समस्या समाधान।
- उदाहरण: रावेन प्रोग्रेसिव मैट्रिसेस, ब्लॉक डिज़ाइन टेस्ट
3. कार्यप्रदर्शन परीक्षण:
- ये परीक्षण वास्तविक दुनिया के कार्यों और कौशल का आकलन करते हैं, जैसे हाथ-आंख समन्वय, ठीक मोटर कौशल, और कार्यकारी कार्य।
- उदाहरण: लेटर-नंबर स्पैनिंग, टॉवर ऑफ़ लंदन टेस्ट
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक प्रकार के परीक्षण में अलग-अलग उप-परीक्षण हो सकते हैं, और सभी परीक्षण सभी व्यक्तियों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं। एक योग्य मनोवैज्ञानिक किसी व्यक्ति के लिए सबसे उपयुक्त परीक्षण चुनने में मदद कर सकता है।
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