प्रोग्राम्ड लर्निंग: अर्थ और लक्षण (Programmed Learning‐ Meaning & Characteristics)

प्रस्तावना:

प्रोग्राम्ड लर्निंग, जिसे हिंदी में "क्रमबद्ध अधिगम" या "अनुदेशित अधिगम" कहा जाता है, एक शक्तिशाली शैक्षिक तकनीक है जो सीखने की प्रक्रिया को छोटे, व्यवस्थित चरणों में विभाजित करके शिक्षार्थी को सक्रिय रूप से ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह शिक्षण की एक व्यवस्थित और स्व-गतिशील विधि है, जिसमें शिक्षार्थी अपनी गति से सीखता है और तत्काल प्रतिक्रिया प्राप्त करता है। प्रोग्राम्ड लर्निंग का मुख्य उद्देश्य सीखने को अधिक प्रभावी, व्यक्तिगत और रोचक बनाना है। यह लेख प्रोग्राम्ड लर्निंग के अर्थ, विशेषताओं, प्रकार, अनुप्रयोग, लाभ, सीमाओं और भविष्य की संभावनाओं का विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत करता है।


प्रोग्राम्ड लर्निंग का अर्थ और परिभाषा: -

प्रोग्राम्ड लर्निंग एक शिक्षण विधि है जिसमें विषय वस्तु को छोटे, तार्किक रूप से जुड़े चरणों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक चरण में एक नई जानकारी या कौशल प्रस्तुत किया जाता है, जिसके बाद शिक्षार्थी से संबंधित प्रश्न या अभ्यास करने के लिए कहा जाता है। शिक्षार्थी के उत्तर के आधार पर, उसे सही उत्तर या अगली जानकारी प्रदान की जाती है। यदि उत्तर गलत होता है, तो उसे सही उत्तर तक पहुंचने के लिए मार्गदर्शन दिया जाता है। इस प्रकार, प्रोग्राम्ड लर्निंग शिक्षार्थी को सक्रिय रूप से सीखने और अपनी गलतियों से सीखने का अवसर प्रदान करता है।

विभिन्न शिक्षाविदों ने प्रोग्राम्ड लर्निंग को अपने-अपने ढंग से परिभाषित किया है। कुछ प्रमुख परिभाषाएँ इस प्रकार हैं:

  • बी.एफ. स्किनर: स्किनर, जिन्हें प्रोग्राम्ड लर्निंग का जनक माना जाता है, ने इसे "सीखने की एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया है जिसमें छात्रों को छोटे-छोटे चरणों में जानकारी दी जाती है, और प्रत्येक चरण के बाद उनसे प्रश्न पूछे जाते हैं। सही उत्तर देने पर उन्हें आगे बढ़ने दिया जाता है, और गलत उत्तर देने पर उन्हें सही उत्तर बताया जाता है।"
  • नॉर्मन क्राउडर: क्राउडर ने शाखीय प्रोग्रामिंग की अवधारणा पेश की। उनके अनुसार, "प्रोग्राम्ड लर्निंग एक ऐसी शिक्षण विधि है जिसमें छात्रों को उनकी प्रतिक्रियाओं के आधार पर विभिन्न मार्गों से सीखने के लिए निर्देशित किया जाता है।"

इन परिभाषाओं के आधार पर, हम कह सकते हैं कि प्रोग्राम्ड लर्निंग एक ऐसी शिक्षण प्रणाली है जो शिक्षार्थी को पूर्व निर्धारित क्रम में व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत की गई सामग्री के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। इसमें सामग्री को छोटे-छोटे इकाइयों में बाँटा जाता है, और प्रत्येक इकाई के बाद शिक्षार्थी की समझ का मूल्यांकन किया जाता है। मूल्यांकन के परिणामों के आधार पर, शिक्षार्थी को अगली इकाई में जाने या पिछली इकाई को दोहराने का अवसर मिलता है।


प्रोग्राम्ड लर्निंग की विशेषताएं:

प्रोग्राम्ड लर्निंग की कई विशेषताएं हैं जो इसे पारंपरिक शिक्षण विधियों से अलग बनाती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  1. छोटे चरण: विषय वस्तु को छोटे, प्रबंधनीय चरणों में विभाजित किया जाता है, जिससे शिक्षार्थी को जानकारी को आसानी से समझने और आत्मसात करने में मदद मिलती है। यह छोटे चरण सीखने की प्रक्रिया को सरल और बोधगम्य बनाते हैं।
  2. सक्रिय भागीदारी: शिक्षार्थी सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेता है और अपनी गति से सीखता है। उन्हें प्रश्नों का उत्तर देना होता है, अभ्यास करने होते हैं, जिससे उनकी सीखने में सक्रियता बनी रहती है। निष्क्रिय श्रोता बनने की जगह, वे सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल होते हैं।
  3. तत्काल प्रतिक्रिया: शिक्षार्थी को प्रत्येक चरण के बाद तुरंत प्रतिक्रिया मिलती है, जिससे उसे अपनी गलतियों का पता चलता है और सही उत्तर तक पहुंचने में मदद मिलती है। यह त्वरित फीडबैक सीखने को अधिक प्रभावी बनाता है। तत्काल प्रतिक्रिया से शिक्षार्थी को अपनी प्रगति का तुरंत पता चलता है और उन्हें अपनी गलतियों को सुधारने का मौका मिलता है।
  4. स्व-गति: शिक्षार्थी अपनी गति से सीखता है और अपनी आवश्यकतानुसार सामग्री को दोहरा सकता है। किसी अन्य शिक्षार्थी के साथ गति मिलाने का दबाव नहीं होता। हर व्यक्ति अपनी सीखने की गति से आगे बढ़ता है, जिससे उन्हें विषय वस्तु को अच्छी तरह समझने का समय मिलता है।
  5. व्यक्तिगत शिक्षण: प्रोग्राम्ड लर्निंग शिक्षार्थी की व्यक्तिगत आवश्यकताओं और क्षमताओं के अनुसार सीखने का अवसर प्रदान करता है। हर व्यक्ति अपनी सीखने की गति और शैली के अनुसार सीखता है।
  6. त्रुटि सुधार: शिक्षार्थी को अपनी गलतियों से सीखने का अवसर मिलता है। गलत उत्तर देने पर उन्हें सही उत्तर की जानकारी मिलती है और अपनी गलतियों को सुधारने का मौका मिलता है। गलतियाँ सीखने की प्रक्रिया का एक अभिन्न हिस्सा हैं, और प्रोग्राम्ड लर्निंग शिक्षार्थियों को अपनी गलतियों से सीखने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  7. मूल्यांकन: शिक्षार्थी की प्रगति का नियमित रूप से मूल्यांकन किया जाता है, जिससे उसकी सीखने की स्थिति का पता चलता है। यह मूल्यांकन शिक्षार्थी और शिक्षक दोनों को सीखने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  8. पुनर्बलन: सही उत्तर देने पर शिक्षार्थी को सकारात्मक पुनर्बलन मिलता है, जो उसे सीखने के लिए प्रेरित करता है। यह पुनर्बलन शिक्षार्थी के आत्मविश्वास को बढ़ाता है और उन्हें सीखने के लिए प्रेरित करता है।
  9. व्यवस्थित प्रस्तुति: विषय वस्तु को एक तार्किक और व्यवस्थित क्रम में प्रस्तुत किया जाता है, जिससे शिक्षार्थी को जानकारी को समझने में आसानी होती है। यह व्यवस्थित प्रस्तुति सीखने को अधिक संगठित और प्रभावी बनाती है।
  10. लचीलापन: प्रोग्राम्ड लर्निंग को विभिन्न विषयों और सीखने के स्तरों के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। यह लचीलापन इसे विभिन्न शैक्षिक परिस्थितियों में उपयोगी बनाता है।


प्रोग्राम्ड लर्निंग के प्रकार:

प्रोग्राम्ड लर्निंग के मुख्य रूप से दो प्रकार हैं:

  1. रेखीय प्रोग्रामिंग (Linear Programming): इस प्रकार की प्रोग्रामिंग में, सभी शिक्षार्थी एक ही क्रम में सामग्री का अध्ययन करते हैं। प्रत्येक चरण एक नई जानकारी प्रस्तुत करता है और शिक्षार्थी को उस पर आधारित प्रश्न का उत्तर देना होता है। यह एक सरल और सीधा प्रकार है, जिसमें सभी शिक्षार्थी एक ही मार्ग का अनुसरण करते हैं।
  2. शाखीय प्रोग्रामिंग (Branching Programming): इस प्रकार की प्रोग्रामिंग में, शिक्षार्थी के उत्तर के आधार पर उसे अलग-अलग शाखाओं में भेजा जाता है। यदि उत्तर सही होता है, तो उसे अगले चरण में भेजा जाता है। यदि उत्तर गलत होता है, तो उसे संबंधित जानकारी प्रदान की जाती है और उसे दोबारा प्रयास करने का अवसर दिया जाता है। यह प्रकार शिक्षार्थी की प्रतिक्रियाओं के आधार पर उन्हें अलग-अलग सीखने के मार्गों पर भेजता है, जिससे उन्हें अपनी गलतियों को सुधारने का अधिक मौका मिलता है।


प्रोग्राम्ड लर्निंग के अनुप्रयोग:

प्रोग्राम्ड लर्निंग का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • शिक्षा: प्रोग्राम्ड लर्निंग का उपयोग स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों को पढ़ाने के लिए किया जा सकता है। यह विशेष रूप से गणित, विज्ञान और भाषा जैसे विषयों के लिए उपयोगी है।
  • प्रशिक्षण: इसका उपयोग उद्योगों और संगठनों में कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए किया जा सकता है। यह नई प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं के बारे में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक प्रभावी उपकरण है।
  • स्व-अध्ययन: प्रोग्राम्ड लर्निंग सामग्री का उपयोग शिक्षार्थी द्वारा स्वयं अध्ययन करने के लिए किया जा सकता है। यह उन शिक्षार्थियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो दूर रहते हैं या जिनके पास कक्षाओं में जाने का समय नहीं है।
  • दूरस्थ शिक्षा: इसका उपयोग दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों में शिक्षार्थियों को पढ़ाने के लिए किया जा सकता है। यह दूरस्थ शिक्षा को अधिक प्रभावी और व्यक्तिगत बनाने में मदद करता है।
  • विशेष शिक्षा: प्रोग्राम्ड लर्निंग विशेष आवश्यकताओं वाले शिक्षार्थियों को पढ़ाने के लिए एक प्रभावी उपकरण हो सकता है। यह उन शिक्षार्थियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जिन्हें अपनी गति से सीखने की आवश्यकता होती है।


प्रोग्राम्ड लर्निंग के लाभ:

प्रोग्राम्ड लर्निंग के कई लाभ हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • प्रभावी शिक्षण: यह सीखने की एक प्रभावी विधि है जो शिक्षार्थियों को सक्रिय रूप से ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह पारंपरिक शिक्षण विधियों की तुलना में अधिक प्रभावी हो सकता है, क्योंकि यह शिक्षार्थियों को सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल करता है।
  • व्यक्तिगत शिक्षण: यह शिक्षार्थी की व्यक्तिगत आवश्यकताओं और क्षमताओं के अनुसार सीखने का अवसर प्रदान करता है। हर शिक्षार्थी अपनी गति और शैली के अनुसार सीखता है, जिससे उन्हें विषय वस्तु को अच्छी तरह समझने का समय मिलता है।
  • स्व-गति: शिक्षार्थी अपनी गति से सीखता है और अपनी आवश्यकतानुसार सामग्री को दोहरा सकता है। यह उन शिक्षार्थियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जिन्हें कुछ विषयों को समझने में अधिक समय लगता है।
  • तत्काल प्रतिक्रिया: शिक्षार्थी को प्रत्येक चरण के बाद तुरंत प्रतिक्रिया मिलती है, जिससे उसे अपनी गलतियों का पता चलता है और सही उत्तर तक पहुंचने में मदद मिलती है। यह तत्काल प्रतिक्रिया सीखने को अधिक प्रभावी बनाती है और शिक्षार्थियों को अपनी गलतियों से सीखने का मौका देती है।
  • त्रुटि सुधार: शिक्षार्थी को अपनी गलतियों से सीखने का अवसर मिलता है। गलतियाँ सीखने की प्रक्रिया का एक अभिन्न हिस्सा हैं, और प्रोग्राम्ड लर्निंग शिक्षार्थियों को अपनी गलतियों से सीखने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • प्रेरणा: प्रोग्राम्ड लर्निंग सीखने को अधिक रोचक और प्रेरक बना सकता है। यह शिक्षार्थियों को सीखने के लिए अधिक प्रेरित करता है और उन्हें सफलता का अनुभव कराता है।
  • आत्मविश्वास में वृद्धि: जब शिक्षार्थी सफलतापूर्वक प्रोग्राम्ड लर्निंग मॉड्यूल को पूरा करते हैं, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। छोटे-छोटे लक्ष्यों की प्राप्ति उन्हें अधिक जटिल कार्यों को करने के लिए प्रेरित करती है।
  • सीखने में रुचि पैदा करना: प्रोग्राम्ड लर्निंग पारंपरिक शिक्षण विधियों की तुलना में अधिक रोचक और गतिशील होती है। यह शिक्षार्थियों को सीखने में अधिक रुचि पैदा करने में मदद करता है।


प्रोग्राम्ड लर्निंग की सीमाएं:

प्रोग्राम्ड लर्निंग की कुछ सीमाएं भी हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • समय और लागत: प्रोग्राम्ड लर्निंग सामग्री को विकसित करने में समय और लागत लग सकती है। अच्छी गुणवत्ता वाली प्रोग्राम्ड लर्निंग सामग्री को विकसित करने के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है, जिसमें समय और धन लगता है।
  • रचनात्मकता की कमी: कुछ लोगों का मानना है कि प्रोग्राम्ड लर्निंग रचनात्मकता को बढ़ावा नहीं देता है। यह शिक्षार्थियों को रचनात्मक रूप से सोचने और समस्याओं को हल करने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान नहीं कर सकता है।
  • सामाजिक संपर्क की कमी: प्रोग्राम्ड लर्निंग में शिक्षार्थियों के बीच सामाजिक संपर्क कम हो सकता है। यह उन शिक्षार्थियों के लिए समस्या हो सकता है जो सामाजिक रूप से सीखना पसंद करते हैं।
  • सभी विषयों के लिए उपयुक्त नहीं: प्रोग्राम्ड लर्निंग सभी विषयों के लिए उपयुक्त नहीं है। यह कुछ विषयों के लिए अधिक प्रभावी है, जैसे कि गणित, विज्ञान और भाषा। हालांकि, यह उन विषयों के लिए उतना प्रभावी नहीं हो सकता है जिनमें रचनात्मकता और सामाजिक संपर्क की अधिक आवश्यकता होती है।
  • शिक्षकों की भूमिका में बदलाव: प्रोग्राम्ड लर्निंग के उपयोग से शिक्षकों की भूमिका में बदलाव आता है। शिक्षकों को अब पारंपरिक रूप से ज्ञान प्रदान करने की जगह शिक्षार्थियों को सीखने में मार्गदर्शन करने की भूमिका निभानी होती है। इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
  • मूल्यांकन की कठिनाई: कुछ विषयों में प्रोग्राम्ड लर्निंग के माध्यम से सीखने के परिणामों का मूल्यांकन करना कठिन हो सकता है। विशेष रूप से उन विषयों में जिनमें उच्च स्तरीय सोच और समस्या समाधान कौशल की आवश्यकता होती है।


प्रोग्राम्ड लर्निंग का भविष्य:

प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, प्रोग्राम्ड लर्निंग का भविष्य उज्जवल है। कंप्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से प्रोग्राम्ड लर्निंग सामग्री को अधिक उपलब्ध और इंटरैक्टिव बनाया जा सकता है। आने वाले समय में हम निम्नलिखित प्रवृत्तियों को देख सकते हैं:

  • अधिक इंटरैक्टिव सामग्री: प्रौद्योगिकी के उपयोग से प्रोग्राम्ड लर्निंग सामग्री को अधिक इंटरैक्टिव और रोचक बनाया जा सकता है। इसमें वीडियो, ऑडियो और सिमुलेशन जैसे मल्टीमीडिया तत्वों का उपयोग किया जा सकता है।
  • अनुकूलित सीखने के अनुभव: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के उपयोग से शिक्षार्थियों के लिए अधिक अनुकूलित सीखने के अनुभव प्रदान किए जा सकते हैं। सिस्टम शिक्षार्थी की प्रगति और जरूरतों के आधार पर सामग्री और गतिविधि को अनुकूलित कर सकेगा।
  • मोबाइल लर्निंग: मोबाइल उपकरणों के उपयोग से प्रोग्राम्ड लर्निंग सामग्री को कहीं भी और कभी भी उपलब्ध कराया जा सकेगा। यह शिक्षार्थियों को अपनी सुविधा के अनुसार सीखने की अनुमति देगा।
  • गेमिफिकेशन: गेमिफिकेशन तत्वों का उपयोग प्रोग्राम्ड लर्निंग को अधिक रोचक और प्रेरक बना सकता है। बैज, अंक और लीडरबोर्ड जैसे तत्व शिक्षार्थियों को सीखने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।


निष्कर्ष:

प्रोग्राम्ड लर्निंग एक प्रभावी शिक्षण विधि है जो शिक्षार्थियों को सक्रिय रूप से ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह व्यक्तिगत शिक्षण, स्व-गति और तत्काल प्रतिक्रिया जैसे कई लाभ प्रदान करता है। हालांकि, इसकी कुछ सीमाएं भी हैं। प्रोग्राम्ड लर्निंग का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां शिक्षार्थियों को व्यवस्थित और क्रमबद्ध रूप से जानकारी प्रदान करना आवश्यक है। यह पारंपरिक शिक्षण विधियों का एक उपयोगी पूरक हो सकता है, लेकिन यह ध्यान रखना आवश्यक है कि यह हर विषय और हर सीखने के लिए उपयुक्त नहीं है। इसके उपयोग से पहले इसकी सीमाओं और लाभों पर विचार करना आवश्यक है। प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, प्रोग्राम्ड लर्निंग का भविष्य उज्जवल है, और हम आने वाले समय में इसे और अधिक  प्रभावी और व्यक्तिगत होते हुए देखेंगे। यह शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा, और शिक्षार्थियों को अधिक प्रभावी और कुशल तरीके से सीखने में मदद करता रहेगा।

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