विशेष शिक्षा, एकीकृत शिक्षा और समावेशी शिक्षा में अंतर

प्रस्तावना:

शिक्षा का अधिकार सभी का जन्मसिद्ध अधिकार है, चाहे वह सामान्य हो या विशेष जरूरतों वाला। शिक्षा का उद्देश्य सभी बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार विकसित करने और उन्हें जीवन में सफल बनाने में मदद करना है। विशेष शिक्षा, एकीकृत शिक्षा और समावेशी शिक्षा, ये तीनों शिक्षा के अलग-अलग तरीके हैं जो विशेष जरूरतों वाले बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हैं।


विशेष शिक्षा:

यह शिक्षा उन बच्चों के लिए है जिन्हें शारीरिक, मानसिक, या सामाजिक-भावनात्मक अक्षमताएं हैं। यह शिक्षा उन्हें उनकी अक्षमता के अनुसार शिक्षा प्रदान करती है और उन्हें जीवन में स्वतंत्र और सफल बनाने में मदद करती है।

विशेष शिक्षा के कुछ प्रमुख पहलू:

  • यह शिक्षा विशेष रूप से विकलांग बच्चों के लिए तैयार की जाती है।
  • इसमें विशेष शिक्षकों, विशेष उपकरणों और विशेष पाठ्यक्रम का उपयोग किया जाता है।
  • यह शिक्षा विशेष स्कूलों या सामान्य स्कूलों में विशेष कक्षाओं में प्रदान की जाती है।

उदाहरण:
  • एक अंधे बच्चे को ब्रेल लिपि पढ़ना और लिखना सिखाना।
  • एक बहरे बच्चे को सांकेतिक भाषा सिखाना।
  • एक सीखने की अक्षमता वाले बच्चे को विशेष शिक्षण रणनीतियाँ प्रदान करना।


एकीकृत शिक्षा:

यह शिक्षा विकलांग और सामान्य बच्चों को एक साथ शिक्षा प्रदान करती है। इसका उद्देश्य विकलांग बच्चों को सामाजिक रूप से शामिल करना और उन्हें सामान्य बच्चों के साथ रहने और सीखने का अवसर प्रदान करना है।

एकीकृत शिक्षा के कुछ प्रमुख पहलू:

  • यह शिक्षा सामान्य स्कूलों में प्रदान की जाती है।
  • इसमें विकलांग और सामान्य बच्चों को एक साथ शिक्षा दी जाती है।
  • इसमें विशेष शिक्षकों और सामान्य शिक्षकों दोनों की भूमिका होती है।
  • इसमें विकलांग बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पाठ्यक्रम को अनुकूलित किया जाता है।

उदाहरण:
  • एक विकलांग बच्चे को सामान्य स्कूल में प्रवेश देना।
  • विकलांग और सामान्य बच्चों के लिए एक साथ खेल और सामाजिक गतिविधियों का आयोजन करना।
  • विकलांग बच्चों के लिए सामान्य पाठ्यक्रम को अनुकूलित करना।


समावेशी शिक्षा:

यह शिक्षा सभी बच्चों को उनकी क्षमता, पृष्ठभूमि, या आवश्यकता के अनुसार शिक्षा प्रदान करती है। इसका उद्देश्य सभी बच्चों को शिक्षा में समान अवसर प्रदान करना और उन्हें एक साथ रहने और सीखने का अवसर प्रदान करना है।

समावेशी शिक्षा के कुछ प्रमुख पहलू:

  • यह शिक्षा सभी बच्चों के लिए समान रूप से उपलब्ध है।
  • इसमें सभी बच्चों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा दी जाती है।
  • इसमें विशेष शिक्षकों, सामान्य शिक्षकों, और अन्य सहायक कर्मियों की भूमिका होती है।
  • इसमें पाठ्यक्रम को सभी बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित किया जाता है।

उदाहरण:

  • सभी बच्चों के लिए समान शिक्षा नीति और पाठ्यक्रम।
  • सभी बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करना।
  • स्कूलों में सभी बच्चों के लिए समान अवसर और सुविधाएं प्रदान करना।


विशेष शिक्षा, एकीकृत शिक्षा और समावेशी शिक्षा के बीच अंतर:

पहलूविशेष शिक्षाएकीकृत शिक्षासमावेशी शिक्षा
उद्देश्यविकलांग बच्चों को शिक्षा प्रदान करनाविकलांग बच्चों को सामाजिक रूप से शामिल करनासभी बच्चों को समान शिक्षा प्रदान करना
शिक्षा का स्थानविशेष स्कूल या सामान्य स्कूलों में विशेष कक्षाएंसामान्य स्कूलसामान्य स्कूल
शिक्षकविशेष शिक्षकविशेष शिक्षक और सामान्य शिक्षकविशेष शिक्षक, सामान्य शिक्षक, और अन्य सहायक कर्मी
पाठ्यक्रमविशेष रूप से विकलांग बच्चों के लिए तैयार किया गयासामान्य पाठ्यक्रम, विकलांग बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलितसभी बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित



निष्कर्ष:

विशेष शिक्षा, एकीकृत शिक्षा और समावेशी शिक्षा, ये तीनों शिक्षा के महत्वपूर्ण तरीके हैं जो विशेष जरूरतों वाले बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हैं। इनमें से प्रत्येक शिक्षा का अपना महत्व है और यह शिक्षा बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार विकसित करने और उन्हें जीवन में सफल बनाने में मदद करती है।

समावेशी शिक्षा सबसे नया और सबसे व्यापक शिक्षा का तरीका है और यह शिक्षा सभी बच्चों के लिए समान शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करती है। यह शिक्षा सभी बच्चों को एक साथ रहने और सीखने का अवसर प्रदान करती है और यह शिक्षा बच्चों में सामाजिक समावेश और सहिष्णुता को बढ़ावा देती है।

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