भारतीय सरकारी नौकरी परीक्षा प्रबंधन
*आधिकारिक (पर)पत्र*
*भारतीय सरकारी नौकरी परीक्षा प्रबंधन*
*भारत सरकार*
*प्रेस विज्ञप्ति*
विषय: देशभर में पारदर्शिता, नयापन और उम्मीदवारों की सहन-शक्ति की निरंतर जाँच हेतु “विश्वगुरु भर्ती मिशन ” के अंतर्गत नई प्रक्रियाओं का क्रियान्वयन।
*1. परिचय:* विश्वगुरु पथ पर सहनशक्ति-आधारित भर्ती प्रणाली
2014 के बाद से हमारे राष्ट्र का गौरवशाली उद्देश्य स्पष्ट है, भारत को शीघ्रातिशीघ्र विश्वगुरु बनाना।
इस महाअभियान के अंतर्गत यह गहन अध्ययन किया गया कि नौकरी पाने के लिए ज्ञान से अधिक जरूरी है,
सरकारी विलंब सहने की क्षमता, गलतियों को भूलने की आदत और पारदर्शिता की जगह धैर्य को प्राथमिकता देना।
इसीलिए भारतीय नौकरी परीक्षा प्रबंधन (BNPB) ने परीक्षा पद्धति को “पारंपरिक ज्ञान जाँच” से आगे बढ़ाकर “सहनशक्ति जाँच” का रूप दे दिया है।
अब उम्मीदवार न केवल पढ़ाई करेंगे, बल्कि लंबे इंतज़ार, अनिश्चित तिथियों, और बिना कारण के बदलाव को भी जीवन का हिस्सा मानेंगे।
*2. केंद्र चयन नीति:* पर्यटन और भर्ती का अभूतपूर्व संगम
हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता का अनुभव कराना हर नागरिक का अधिकार है,
और इससे बेहतर मौका तब मिलता है जब हम उन्हें उनके घर से 500–1500 किलोमीटर दूर परीक्षा दिलाने भेजते हैं।
अब लखनऊ के अभ्यर्थी त्रिपुरा में, छत्तीसगढ़ के युवा असम में, और असम के परीक्षार्थी तमिलनाडु में अपना भाग्य आजमाएँगे।
लॉजिस्टिक रोमांच बढ़ाने के लिए एडमिट कार्ड परीक्षा से सिर्फ़ 48 घंटे पहले जारी किया जाएगा
ताकि IRCTC, बस अड्डे और होटल मालिकों की अर्थव्यवस्था में भी योगदान हो।
रेलवे की जनरल बोगी अनुभव सेवा को भी मान्यता दी गई है जहाँ यात्रा के दौरान आप धक्का-मुक्की, बिना सीट के सफर, और गरमा-गरम तर्क-वितर्क का आनंद लेंगे।
*3. पेपर-लीक नीति:* “जनभागीदारी और पारदर्शिता” का महोत्सव
हम मानते हैं कि सूचना का अधिकार केवल सरकारी योजनाओं तक सीमित नहीं होना चाहिए
प्रश्नपत्र भी जनता तक पहुँचना चाहिए, वह भी परीक्षा से पहले।
इसलिए कभी टेलीग्राम ग्रुप, कभी व्हाट्सऐप, तो कभी लोकल फोटोकॉपी दुकान के ज़रिए
हम यह सुनिश्चित करेंगे कि चयनित नागरिकों को प्रश्नपत्र का पूर्वावलोकन मिल सके।
लीक होने के बाद, “राष्ट्रीय धैर्य सप्ताह” के अंतर्गत परीक्षा रद्द कर दी जाएगी,
और नई तिथि “जल्द घोषित होगी” यह वाक्य इतना लोकप्रिय हो चुका है कि अब यह हर नोटिफिकेशन का स्थायी हिस्सा है।
*4. प्रश्न-निर्माण: GSK आयोग के अद्भुत नवाचार*
हमारे गंभीर से कॉमेडी (GSK) आयोग का मानना है कि ज्ञान केवल पाठ्यक्रम के भीतर नहीं, बल्कि बाहर भी तलाशा जाना चाहिए।
इसीलिए प्रश्नपत्र में समय-समय पर ऐसे सवाल शामिल किए जाते हैं,
जिनका उत्तर देने के लिए न केवल किताब, बल्कि दादी की यादें और गूगल का पहला पन्ना भी पर्याप्त न हो।
कभी-कभी तो प्रश्न का सही उत्तर ही प्रश्नपत्र में मौजूद नहीं होता
क्योंकि हम मानते हैं कि जीवन में हर समस्या का समाधान नहीं होता,
तो परीक्षा में भी हर सवाल का सही विकल्प क्यों हो?
आपत्ति दर्ज करने के लिए मात्र ₹100 शुल्क रखा गया है
ताकि अर्थव्यवस्था में भी आपका योगदान दर्ज हो और आयोग की चाय-पानी व्यवस्था भी चलती रहे।
*5.* *कागजी कार्रवाई एवं FIR प्रबंधन: विलंब का सौंदर्य*
यदि कोई अभ्यर्थी प्रश्न की शुद्धता पर आपत्ति करता है,
तो पहले ₹100 लेकर उसे दर्ज किया जाएगा।
फिर एक उच्च-स्तरीय समिति गठित होगी, जो तीन से छह महीने बाद निष्कर्ष निकालेगी कि “हाँ, प्रश्न गलत था”।
अगर मामला सोशल मीडिया या टीवी डिबेट तक पहुँच जाए,
तो राष्ट्रीय ड्रामा प्रोटोकॉल के तहत पूरी परीक्षा रद्द की जाएगी,
नए नोटिफिकेशन जारी होंगे, और अभ्यर्थी फिर से आवेदन शुल्क देंगे
क्योंकि बार-बार शुल्क देना नागरिक कर्तव्य का हिस्सा है।
*6. टेंडर एवं विक्रेता नीति: असली अनुभव की कद्र*
हमारे यहाँ ठेके उसी को दिए जाते हैं जिनका इतिहास धमाकेदार हो
जिनके सर्वर पहले भी कई बार परीक्षा के दौरान बैठ चुके हों,
और जिनका नाम “ब्लैकलिस्टेड” सूची में हो।
क्योंकि हमारा मानना है कि असली विशेषज्ञ वही है जिसने बार-बार असफल होकर भी ठेका पाने की कला सीख ली हो।
SSC में CBT साइट क्रैश होना, Railway में लॉगिन पेज खुलने से इनकार करना
ये सब डिजिटल सहनशक्ति प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जो केवल अनुभवी ठेकेदार ही दे सकते हैं।
*7. विरोध प्रदर्शन: “युवा एकता और लचीलापन महोत्सव”*
SSC प्रोटेस्ट, Railway आंदोलन, और राज्य स्तरीय धरनों को अब
राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया गया है।
अभ्यर्थी सड़क पर बैठेंगे, नारे लगाएंगे, बारिश और धूप में भीगेंगे,
और लाठियाँ खाकर भी लोकतंत्र में आस्था बनाए रखेंगे।
हम इसे युवाओं का टीम-बिल्डिंग कैंप मानते हैं
जहाँ उन्हें सामूहिक संघर्ष, भीड़ प्रबंधन और धैर्य का ऐसा प्रशिक्षण मिलता है
जो किसी सरकारी विभाग में नौकरी मिलने के बाद काम आ सकता है… अगर नौकरी मिल गई तो।
*8. 2014 के बाद का “विश्वगुरु विज़न”*
जब से हम विश्वगुरु बनने की दिशा में अग्रसर हुए हैं, शिक्षा का स्तर भी विशाल हो गया है
इतना विशाल कि अब आम छात्रों की पहुँच से बाहर है।
हम मानते हैं कि असली विकास वहीं है जहाँ
गुणवत्ता गटर में और दावे आसमान में हों।
इसीलिए भर्ती प्रक्रिया में सुधार का मतलब है
केंद्र और तारीख़ बदलना, पेपर लीक होना, और धैर्य को ही मुख्य विषय बना देना।
क्योंकि जब देश के युवा ये सब झेल सकते हैं,
तो वे विश्वगुरु बनने के लिए तैयार हैं कम से कम सहनशक्ति में तो।
*9. आदर्श संदेश*
परीक्षा-प्रणाली में रहस्यमयी गड़बड़ी,
कभी-कभी लीक, कभी-कभी रद्दीकरण,
और बार-बार शुल्क वसूली
ये सब राष्ट्रीय मजबूती के संकेत हैं।
जो उम्मीदवार इन सबके बावजूद टिके रहते हैं,
उन्हें “अधिकारिक धैर्य-प्रमाण पत्र” प्रदान किया जाएगा
जिसका किसी भर्ती में उपयोग न सही,
लेकिन यह दिलासा जरूर देगा कि आपने विश्वगुरु बनने की प्रक्रिया में अपना योगदान दिया।
*10. समाप्ति*
यह पायलट स्कीम अस्थायी है
जब तक सार्वजनिक रोष का स्तर घटता नहीं,
हम इसे “सुधार” मानकर लागू करते रहेंगे।
धन्यवाद।
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