विचार की गति, प्रकाश की गति से ज्यादा नहीं होती
कई लोग सोचते हैं कि हमारे दिमाग में जो विचार आते हैं, उनकी गति, यानी थॉट की स्पीड प्रकाश (लाइट) की स्पीड से भी ज्यादा होती है। जैसे, जब हम सूरज की कल्पना करते हैं, तो वह पल भर में हमारे दिमाग में आ जाती है। जबकि सच तो यह है कि सूरज की रोशनी को धरती तक आने में लगभग 8 मिनट लगते हैं। इससे ऐसा लगता है कि हमारा दिमाग लाइट से भी तेज काम करता है।
लेकिन सच्चाई इससे अलग है।
विचार (थॉट) कोई असली भौतिक चीज नहीं होती जो एक जगह से दूसरी जगह जाती हो। जब हम किसी चीज की कल्पना करते हैं, तो हमारा दिमाग सिर्फ एक तस्वीर (image) बनाता है। यह काम न्यूरॉन्स करते हैं, जो दिमाग की कोशिकाएं होती हैं। ये न्यूरॉन आपस में केमिकल और इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स के ज़रिए कम्युनिकेट करते हैं। इस कम्युनिकेशन की स्पीड बहुत सीमित होती है — करीब 1 से 120 मीटर प्रति सेकंड, जबकि लाइट की स्पीड लगभग 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड होती है।
अब बात करते हैं असली फर्क की:
प्रकाश (Light) एक असली चीज़ है, जो एक जगह से दूसरी जगह चलती है, यानी उसमें displacement (विस्थापन) होता है। इसी कारण से उसकी एक मापने योग्य गति (speed) होती है।
लेकिन जब हम सोचते हैं, तो हमारा विचार कहीं जाता नहीं, उसमें कोई असली movement या displacement नहीं होता। विचार केवल हमारे दिमाग के अंदर ही एक कल्पना (imaginary image) के रूप में बनता है। इसलिए उसकी कोई असली "गति" नहीं होती।
थॉट की स्पीड, लाइट की स्पीड से ज्यादा नहीं होती, क्योंकि थॉट की कोई वास्तविक स्पीड होती ही नहीं। यह केवल अनुभव (experience) है, जो तेज़ लगता है, लेकिन भौतिक रूप से मापा नहीं जा सकता। इसलिए यह मानना कि विचार की गति प्रकाश से तेज़ है, केवल एक भ्रम (illusion) है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें