प्रेरणा का ईआरजी (ERG) सिद्धांत (ERG Theory of Motivation)

 प्रस्तावना -

मानवीय प्रेरणा सदैव से ही मनोवैज्ञानिकों और प्रबंधकों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय रहा है। कर्मचारियों को कार्यस्थल में प्रेरित करने और उच्च प्रदर्शन प्राप्त करने के लिए, उनकी प्रेरणा के स्रोतों को समझना आवश्यक है। ERG सिद्धांत, जिसे Clayton Alderfer द्वारा विकसित किया गया था, यह 1969 में प्रस्तावित किया गया था। यह सिद्धांत Maslow के प्रसिद्ध "आवश्यकता पदानुक्रम" सिद्धांत पर आधारित है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलाव भी किए गए हैं।

ERG सिद्धांत की उत्पत्ति -

ERG सिद्धांत Maslow के "आवश्यकता पदानुक्रम" सिद्धांत से प्रेरित है। Maslow के सिद्धांत में, ज़रूरतों को एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित किया जाता है, जिसमें सबसे बुनियादी ज़रूरतें सबसे पहले पूरी होती हैं। Erg सिद्धांत इस विचार को स्वीकार करता है, लेकिन यह ज़रूरतों को गतिशील और परिवर्तनशील मानता है।

ERG Theory of Motivation
ERG Theory of Motivation


ERG सिद्धांत  के मुख्य घटक -

ERG सिद्धांत तीन मुख्य प्रकार की जरूरतों पर आधारित है:

1. अस्तित्व की आवश्यकताएं (Existence Needs)-  ये वे बुनियादी आवश्यकताएं हैं जो हमें जीवित रहने और सुरक्षित महसूस करने के लिए आवश्यक हैं। इनमें भोजन, पानी, आश्रय, वित्तीय सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसी चीजें शामिल हैं।

ज़रूरतें- भोजन, पानी, आश्रय, सुरक्षा, स्वास्थ्य, नींद


2. संबंध की आवश्यकताएं (Relatedness Needs) - ये वे आवश्यकताएं हैं जो दूसरों के साथ जुड़ने और सामाजिक संबंध बनाने की हमारी इच्छा से संबंधित हैं। इनमें प्यार, मित्रता, स्वीकृति, सम्मान और दूसरों के साथ एकजुट महसूस करने की भावना शामिल हैं।

ज़रूरतें - सामाजिक संबंध, प्यार, दोस्ती, स्वीकृति, सम्मान


3. विकास की आवश्यकताएं (Growth Needs) - ये वे आवश्यकताएं हैं जो हमारी क्षमताओं का विकास करने और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने की हमारी इच्छा से संबंधित हैं। इनमें स्वायत्तता, उपलब्धि, रचनात्मकता, चुनौतियों का सामना करने और नई चीजें सीखने की इच्छा शामिल हैं।


ज़रूरतें- सीखना, चुनौतियों का सामना करना, रचनात्मकता, क्षमता का उपयोग, विकास


ERG सिद्धांत Maslow के जरूरतों के पदानुक्रम से भिन्न है, जो एक चरण-दर-चरण प्रगति का प्रस्ताव करता है। ERG सिद्धांत के अनुसार, कई आवश्यकताएं एक साथ सक्रिय हो सकती हैं, और उनकी तात्कालिकता परिस्थिति के अनुसार बदल सकती है। इसके अलावा, ERG सिद्धांत हताशा-प्रतिगमन सिद्धांत (Frustration-Regression Principle) को भी ध्यान में रखता है, जो बताता है कि यदि किसी व्यक्ति को उच्च-स्तरीय आवश्यकता को पूरा करने में निराशा का सामना करना पड़ता है, तो वे अपनी ऊर्जा को निचले स्तर की आवश्यकता को पूरा करने में लगा सकते हैं।


ERG सिद्धांत के लाभ -

  • यह मानवीय प्रेरणा को समझने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है।
  • यह विभिन्न प्रकार की जरूरतों को ध्यान में रखता है जो लोगों को प्रेरित करते हैं।
  • यह गतिशील है और बदलती परिस्थितियों के अनुकूल हो सकता है।
  • यह प्रबंधकों को कर्मचारियों को प्रेरित करने के लिए रणनीति तैयार करने में मदद कर सकता है।


ERG सिद्धांत में निराशा-प्रतिगमन सिद्धांत -


ईआरजी सिद्धांत में निराशा-प्रतिगमन सिद्धांत का कहना है कि जब किसी व्यक्ति की ज़रूरतों को पूरा नहीं किया जाता है, तो वह निराश हो जाता है। यह निराशा उसे पिछले स्तर की ज़रूरतों पर वापस जाने के लिए प्रेरित कर सकती है. 

उदाहरण -


अस्तित्व -

  •  एक कर्मचारी को अपनी नौकरी में पर्याप्त वेतन नहीं मिल रहा है (अस्तित्व की ज़रूरत) 
  • वह अधिक पैसा कमाने के लिए दूसरी नौकरी ढूंढने के लिए प्रेरित हो सकता है (अस्तित्व की ज़रूरत)।
  • यदि वह दूसरी नौकरी नहीं ढूंढ पाता है, तो वह भोजन और आश्रय जैसी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कम वेतन वाली नौकरी स्वीकार करने के लिए मजबूर हो सकता है।


संबंधितता -

  • एक छात्र को अपने सहपाठियों से स्वीकृति नहीं मिल रही है (संबंधितता की ज़रूरत) 
  • वह उन दोस्तों के साथ अधिक समय बिताने के लिए प्रेरित हो सकता है जो उसे स्वीकार करते हैं (संबंधितता की ज़रूरत) 
  • यदि उसे ऐसे दोस्त नहीं मिलते हैं, तो वह अकेला और अलग-थलग महसूस कर सकता है, जिससे उसकी आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास कम हो सकता है।


विकास -

  • एक एथलीट को अपनी प्रतियोगिताओं में सफलता नहीं मिल रही है (विकास की ज़रूरत) 
  • वह अपनी कमियों को सुधारने के लिए अधिक प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित हो सकता है (विकास की ज़रूरत) 
  • यदि वह कड़ी मेहनत करता है और सफलता प्राप्त करता है, तो वह अपनी क्षमताओं और आत्मविश्वास में वृद्धि महसूस कर सकता है।



निराशा-प्रतिगमन सिद्धांत के महत्वपूर्ण बिंदु -

  • यह सिद्धांत बताता है कि ज़रूरतों को पूरा करने के लिए प्रेरणा महत्वपूर्ण है।
  • जब ज़रूरतें पूरी नहीं होती हैं, तो निराशा पैदा होती है।
  • निराशा लोगों को पिछले स्तर की ज़रूरतों पर वापस जाने के लिए प्रेरित कर सकती है।
  • यह सिद्धांत प्रबंधकों और नेताओं को यह समझने में मदद कर सकता है कि वे अपने कर्मचारियों को कैसे प्रेरित कर सकते हैं।


निराशा-प्रतिगमन सिद्धांत के कुछ उदाहरण -

  • एक बच्चा जो अपने माता-पिता से पर्याप्त ध्यान नहीं देता है, वह उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए नकारात्मक व्यवहार कर सकता है।
  • एक कर्मचारी जिसे अपनी नौकरी में पर्याप्त चुनौती नहीं मिल रही है, वह ऊब और निराश महसूस कर सकता है।
  • एक छात्र जो अपनी पढ़ाई में संघर्ष कर रहा है, वह स्कूल छोड़ने का फैसला कर सकता है।


निराशा-प्रतिगमन सिद्धांत के निहितार्थ -

  • प्रबंधकों और नेताओं को यह समझने की आवश्यकता है कि ज़रूरतें लोगों को प्रेरित करती हैं।
  • उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करना चाहिए कि उनके कर्मचारियों की ज़रूरतें पूरी हों।
  • उन्हें यह भी समझने की आवश्यकता है कि निराशा लोगों को नकारात्मक तरीके से व्यवहार करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
  • उन्हें निराशा को कम करने और कर्मचारियों को प्रेरित रखने के लिए रणनीति विकसित करनी चाहिए।


मास्लो का सिद्धांत और  एल्डरफेर का ईआरजी सिद्धांत  मे अंतर -


मास्लो का सिद्धांत -


ज़रूरतों का पदानुक्रम (hierarchy of needs) - यह सिद्धांत मानता है कि ज़रूरतों को 5 स्तरों में बांटा जा सकता है, और प्रत्येक स्तर को पूरा करने के बाद ही अगले स्तर पर जाना संभव है।

स्तर -


शारीरिक - भोजन, पानी, हवा, आश्रय

सुरक्षा - सुरक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा

सामाजिक - प्यार, स्नेह, दोस्ती, सामाजिक स्वीकृति

आत्म-सम्मान - आत्मविश्वास, आत्म-सम्मान, उपलब्धि

आत्म-वास्तविकता - क्षमता का पूर्ण उपयोग, रचनात्मकता

उदाहरण -

  • यदि किसी व्यक्ति को भोजन और पानी (शारीरिक ज़रूरत) नहीं मिल रहा है, तो वह अपनी सुरक्षा (सुरक्षा ज़रूरत) के बारे में सोचने में सक्षम नहीं होगा।
  • यदि किसी व्यक्ति को प्यार और स्नेह (सामाजिक ज़रूरत) नहीं मिल रहा है, तो वह आत्मविश्वास (आत्म-सम्मान ज़रूरत) विकसित करने में सक्षम नहीं होगा।

एल्डरफर का ईआरजी सिद्धांत -


अस्तित्व (Existence) - भोजन, पानी, हवा, आश्रय, सुरक्षा

संबंधितता (Relatedness) - प्यार, स्नेह, दोस्ती, सामाजिक स्वीकृति

विकास (Growth) - सीखना, चुनौती, रचनात्मकता, क्षमता का उपयोग

ज़रूरतों का क्रम - यह सिद्धांत ज़रूरतों के निश्चित क्रम में विश्वास नहीं करता है।


उदाहरण -

  • यदि किसी व्यक्ति को अपनी नौकरी में पर्याप्त चुनौती (विकास ज़रूरत) नहीं मिल रही है, तो वह अपने सहकर्मियों के साथ बेहतर संबंध बनाने (संबंधित ज़रूरत) पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
  • यदि किसी छात्र को अपनी पढ़ाई में सफलता (विकास ज़रूरत) नहीं मिल रही है, तो वह अपने परिवार और दोस्तों से समर्थन (संबंधित ज़रूरत) प्राप्त करने का प्रयास कर सकता है।



समानताएं:

  • आवश्यकताओं का पदानुक्रम: दोनों सिद्धांत मानते हैं कि लोगों की प्रेरणा विभिन्न स्तरों की आवश्यकताओं से प्रेरित होती है, जिन्हें एक पदानुक्रम में व्यवस्थित किया जा सकता है।

  • संतुष्टि-प्रगति: दोनों सिद्धांतों में, निचले स्तर की आवश्यकताओं को पूरा करने से ही व्यक्ति उच्च स्तरीय आवश्यकताओं की ओर बढ़ सकता है।

  • आत्म-वास्तविकीकरण: दोनों सिद्धांत मानते हैं कि आत्म-वास्तविकीकरण, यानी अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचना, मानव प्रेरणा का सर्वोच्च स्तर है।


अंतर:

  • आवश्यकताओं की संख्या: मास्लो के सिद्धांत में 5 स्तरों की आवश्यकताएँ हैं, जबकि एल्डरफेर के ईआरजी सिद्धांत में 3 स्तरों की आवश्यकताएँ हैं।

  • आवश्यकताओं का वर्गीकरण: मास्लो के सिद्धांत में, आवश्यकताओं को "शारीरिक", "सुरक्षा", "सामाजिक", "सम्मान" और "आत्म-वास्तविकीकरण" में वर्गीकृत किया जाता है। एल्डरफेर के ईआरजी सिद्धांत में, आवश्यकताओं को "अस्तित्व", "संबंध" और "विकास" में वर्गीकृत किया जाता है।

  • प्रेरणा का दिशा: मास्लो के सिद्धांत में, प्रेरणा हमेशा ऊपर की ओर होती है, निचले स्तर से उच्च स्तर की आवश्यकताओं की ओर। एल्डरफेर के ईआरजी सिद्धांत में, प्रेरणा ऊपर और नीचे दोनों दिशाओं में हो सकती है, व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लचीला होता है।


सारणी -

विशेषता

मास्लो का सिद्धांत

एल्डरफेर का ईआरजी सिद्धांत

आवश्यकताओं की संख्या

5

3

आवश्यकताओं का वर्गीकरण

शारीरिक, सुरक्षा, सामाजिक, सम्मान, आत्म-वास्तविकीकरण

अस्तित्व, संबंध, विकास

प्रेरणा का दिशा

ऊपर की ओर

ऊपर और नीचे दोनों दिशाओं में


दोनों सिद्धांत मानव प्रेरणा को समझने के लिए उपयोगी ढांचे प्रदान करते हैं। मास्लो का सिद्धांत अधिक व्यापक और विस्तृत है, जबकि एल्डरफेर का ईआरजी सिद्धांत सरल और लचीला है। किसी विशेष स्थिति के लिए कौन सा सिद्धांत अधिक उपयुक्त है, यह उस स्थिति की विशेषताओं पर निर्भर करता हैं।

  • एल्डरफर का सिद्धांत मास्लो के सिद्धांत का एक विस्तार है।
  • एल्डरफर का सिद्धांत ज़रूरतों की गतिशील प्रकृति को बेहतर ढंग से दर्शाता है।
  • दोनों सिद्धांतों का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे कि प्रबंधन, शिक्षा, और मनोविज्ञान



ERG सिद्धांत के निहितार्थ -

ईआरजी सिद्धांत मानव प्रेरणा को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण ढांचा है। यह सिद्धांत बताता है कि लोगों की प्रेरणा तीन स्तरों की आवश्यकताओं से प्रेरित होती है:

  • अस्तित्व (Existence): यह स्तर भोजन, पानी, आश्रय, और सुरक्षा जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने से संबंधित है।
  • संबंध (Relatedness): यह स्तर दूसरों के साथ संबंध बनाने, प्यार और स्वीकृति प्राप्त करने, और सामाजिक समूहों में शामिल होने से संबंधित है।
  • विकास (Growth): यह स्तर अपनी क्षमताओं का विकास करने, अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने, और नए कौशल सीखने से संबंधित है।

ईआरजी सिद्धांत के कई महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं, जिनमें शामिल हैं:

1. प्रेरणा एक निरंतर प्रक्रिया है:

ईआरजी सिद्धांत के अनुसार, प्रेरणा एक निरंतर प्रक्रिया है। जैसे ही एक स्तर की आवश्यकता पूरी होती है, अगले स्तर की आवश्यकता प्रेरक बन जाती है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है, वह दूसरों के साथ संबंध बनाने और प्यार और स्वीकृति प्राप्त करने के लिए प्रेरित हो सकता है।

2. प्रेरणा बहुआयामी है:

ईआरजी सिद्धांत मानता है कि प्रेरणा बहुआयामी है। यह विभिन्न प्रकार की आवश्यकताओं से प्रेरित होती है, जिनमें आर्थिक, सामाजिक, और व्यक्तिगत विकास शामिल हैं। उदाहरण के लिए, एक कर्मचारी न केवल अपने वेतन और पदोन्नति से प्रेरित हो सकता है, बल्कि अपने सहकर्मियों के साथ अच्छे संबंध बनाने और अपनी क्षमताओं का विकास करने से भी प्रेरित हो सकता है।

3. प्रेरणा गतिशील है:

ईआरजी सिद्धांत बताता है कि प्रेरणा गतिशील है। यह समय के साथ बदल सकती है, और विभिन्न स्थितियों और अनुभवों से प्रभावित हो सकती है। उदाहरण के लिए, एक छात्र जो अपनी परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करता है, वह अगली परीक्षा में और भी बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित हो सकता है।

4. प्रेरणा लचीली है:

ईआरजी सिद्धांत के अनुसार, प्रेरणा लचीली है। यदि एक तरीका काम नहीं करता है, तो व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक वैकल्पिक तरीका ढूंढ सकता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी छात्र को किसी विषय में कठिनाई हो रही है, तो वह निराश होने के बजाय, उस विषय में मदद लेने और अपनी सीखने की रणनीति बदलने के लिए प्रेरित हो सकता है।

5. प्रेरणा व्यक्तिगत है:

ईआरजी सिद्धांत मानता है कि प्रेरणा व्यक्तिगत है। यह व्यक्ति के अपने लक्ष्यों, मूल्यों, और अनुभवों पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, दो अलग-अलग छात्रों को एक ही परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए अलग-अलग प्रेरणा हो सकती है। एक छात्र को अपने माता-पिता को खुश करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है, जबकि दूसरा छात्र अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

ईआरजी सिद्धांत के इन निहितार्थों का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  • शिक्षा: शिक्षकों को छात्रों की प्रेरणा को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियों और पुरस्कारों का उपयोग करना चाहिए।
  • व्यवसाय: प्रबंधकों को कर्मचारियों की प्रेरणा को बढ़ाने के लिए उन्हें चुनौतीपूर्ण कार्य सौंपना चाहिए, उनकी उपलब्धियों को स्वीकार करना चाहिए, और उन्हें विकास के अवसर प्रदान करना चाहिए।
  • मनोविज्ञान: मनोवैज्ञानिकों को लोगों की प्रेरणा को समझने और बढ़ाने के लिए उनके साथ व्यक्तिगत रूप से काम करना चाहिए।


निष्कर्ष -

ERG सिद्धांत मानवीय प्रेरणा को समझने और कर्मचारियों को कार्यस्थल में प्रेरित करने के लिए एक उपयोगी उपकरण है। यह प्रबंधकों को एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है जो विभिन्न प्रकार की जरूरतों को ध्यान में रखता है जो लोगों को प्रेरित करते हैं। ERG सिद्धांत के सिद्धांतों को लागू करके, प्रबंधक एक ऐसा कार्य वातावरण बना सकते हैं जो कर्मचारियों को प्रेरित और उत्पादक बनाता है।

ईआरजी सिद्धांत प्रेरणा को समझने और प्रबंधित करने के लिए एक उपयोगी ढांचा प्रदान करता है। प्रबंधक और नेता इस सिद्धांत का उपयोग कर्मचारियों को प्रेरित करने और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए रणनीति विकसित करने के लिए कर सकते हैं।


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