ऑनलाइन परीक्षा (Online Exam)

 ऑनलाइन परीक्षा (Online Exam) -


आज तकनीकी विकास की जो गति है उसी का परिणाम है कि जीवन के अधिकांश क्षेत्रों में कम्प्यूटर का प्रयोग होने लगा है, फिर भला शिक्षा का क्षेत्र इससे कैसे अछूता रह सकता है। परीक्षा कार्य को गति प्रदान करने के लिए और मानवीय त्रुटियों को कम करने के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग अत्यंत आवश्यक हो गया है। 



शैक्षिक विकास की जाँच करने में कम्प्यूटर के दो प्रमुख कार्य हैं-


  1. कम्प्यूटर से परीक्षण पदों एवं अभ्यास के प्रश्नों के निर्माण में सहायता प्राप्त होती है। 

  2. परीक्षा की सामग्री, फलांकन एवं परीक्षण पदों एवं पद विश्लेषण की प्रक्रिया में कम्प्यूटर बहुत अधिक लाभकारी और मितव्ययी सिद्ध हुआ है।


कम्प्यूटर एक ओर जहाँ पदों और प्रश्नों के निर्माण, परिमार्जन एवं संग्रहण में सहायता पहुँचाता है, वहीं दूसरी ओर वह परीक्षा की अपार वस्तु-सामग्री, प्राप्तांकों, पदविश्लेषण एवं सांख्यिकी गणना में सहायक होकर परीक्षा कार्य को त्वरित कर उसमें विश्वसनीयता, शुद्धता, वैधता और वस्तुनिष्ठता प्रदान करता है। 


ऑनलाइन परीक्षा में सभी प्रश्न बहु-विकल्पीय होते हैं, जिनमें परीक्षार्थी को एक सही विकल्प चुनना होता है। ऑनलाइन परीक्षा में समय को निर्धारण सीमा होती है। निर्धारित समय के अंदर ही परीक्षार्थी को प्रश्नों का जवाब देना होता है।


 परीक्षा के लिए कोई हार्ड कॉपी नहीं मिलती। लेकिन परीक्षा में सवालों के हल के लिए रबड, पैंसिल, कागज आदि सामग्री रफ कार्य के लिए मिलती है। अनुत्तरित प्रश्नों के बारे में भी कम्प्यूटर बताता है। सभी प्रश्नों को हल करने के बाद सबमिट बटन पर क्लिक करना आवश्यक है, जो इस परीक्षा प्रक्रिया के समापन को चिह्नित करता है।


ऑनलाइन परीक्षा की विशेषताएं 

(Characteristics of Online Exam) — 


ऑनलाइन/ई-परीक्षा में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए- 


परीक्षा निर्देश (Examination Instruction)- 


परीक्षा की अवधि, प्रत्येक अनुभाग, प्रश्न, वर्ग, उत्तर देने की विधि, प्रश्नों के प्रकार आदि के लिए आवंटित अंक आदि का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए। 


पंजीकरण (Registration)- 


जो विद्यार्थी ऑनलाइन और ई-परीक्षाओं का प्रयास करना चाहते हैं उन्हें अपना अकाउंट पंजीकृत कराना आवश्यक है, जहाँ प्रश्नों में उनके अधिगम का परीक्षण किया जाएगा। या तो परीक्षक प्रश्न निर्माण करेगा जो केवल विद्यार्थियों द्वारा हल किए जा सकते हैं या परीक्षा ऑनलाइन उपलब्ध होगी, जिसका लॉगिन पासवर्ड दर्ज करके मूल्यांकन किया जा सकता है। 


परीक्षा की वैध समय अवधि 

(Valid Time Period of Examination)- 


इस प्रकार की परीक्षा एक निश्चित समय तक ही वैध होती है, जो बाद में अनुपलब्ध हो जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि परीक्षा का पैटर्न इस तरीके से निर्धारित किया जाता है जिससे विद्यार्थियों को पारंपरिक परीक्षा के विपरीत प्रश्न का हल करने के लिए अतिरिक्त समय मिलने का प्रावधान नहीं होता। 


समय का स्मरण दिलाना (Time Reminder)-


 इस प्रकार की परीक्षा में जैसे-जैसे विद्यार्थी आगे बढ़ेगा, सिस्टम स्वतः ही चेतावनी देता रहेगा कि कितना समय बचा है, कितने प्रश्न बचे हैं या आधा उत्तर दिया है आदि। इस तरह के संकेत विद्यार्थियों के लिए अनुस्मारक के रूप में कार्य करते हैं ताकि वे समय पर परीक्षा पूरी कर सकें। 


उत्तर की प्रस्तुति (Submission of Answer)- 


विद्यार्थी एक समय में पूरे या एक प्रश्न का उत्तर प्रस्तुत कर सकते हैं। उपरोक्त दोनों स्थितियों में उत्तर चेतावनी संकेत ऐसे उत्पन्न होंगे : क्या उत्तर पूरा हो गया है, क्या वे उत्तर संशोधित करना चाहते हैं, आदि। इससे विद्यार्थियों को अपने उत्तरों की पुनः जाँच करने में मदद मिलती है। परिणामों की घोषणा (Declaration of Results)- इस प्रकार की व्यवस्था में बच्चों के उत्तर देने के दो विकल्प होते हैं। सिस्टम उत्तर देने की स्थिति (चाहे उत्तर सही या गलत है) उत्पन्न कर सकता है या फिर सभी प्रश्नों के उत्तर सबमिट करने के बाद, परिणाम संपूर्ण रूप में दिखाई दे सकता है।


ऑनलाइन परीक्षा के लाभ

 (Advantage of Online Exam) — 


ऑनलाइन/ई-परीक्षाओं के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं- 


  1. ई-परीक्षा में मानव त्रुटियाँ न्यूनतम होती हैं। पारंपरिक परीक्षाओं में उत्तर लिपियों का मूल्यांकन, मूल्यांकन ग्रेड दर्ज करने, नकल की पहचान करने आदि में गलतियों की संभावनाएँ उच्च होती हैं। दूसरी ओर ई-परीक्षा में अधिकांश गतिविधियाँ डिजिटल प्रकृति में होती हैं और इसलिए मानव त्रुटियों की संभावना बहुत कम होती हैं। 


  1. इस प्रकार की परीक्षा से गलत व्यवहार में शामिल होने की आदत को समाप्त किया जा सकता है चूँकि बच्चों को परीक्षाओं में सम्मिलित होने के लिए कम्प्यूटर वा अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण प्रदान किए जाते हैं, अत: गलत व्यवहार की संभावना न्यूनतम होती है। 


  1. पारंपरिक परीक्षाओं में प्रश्न पत्रों और उत्तर पुस्तिकाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक परीक्षा भवन में लाने तथा ले जाने की आवश्यकता है लेकिन ऑनलाइन/ई-परीक्षाओं में ऐसा नहीं होता है। इस प्रकार ऑनलाइन परीक्षाओं में परीक्षा सामग्री को इधर-उधर ले जाना न्यूनतम होता है। 


  1. परंपरागत परीक्षाओं के आयोजन में मानवीय शक्ति की बहुत आवश्यकता होती है जबकि ऑनलाइन परीक्षा में मानव शक्ति की कम आवश्यकता होती है।


  1.  प्रश्न पत्रों के वितरण के बाद ऑनलाइन/ई-परीक्षाओं में काम का बोझ कम होता है क्योंकि मूल्यांकन और परिणाम आई.सी.टी. आधारित होते हैं। जबकि पारंपरिक परीक्षाओं के संचालन में काम का बोझ बहुत होता है जैसे प्रश्न पत्र तैयार करना, परीक्षाएँ निष्पादित करना, उत्तर पत्रकों का मूल्यांकन करना आदि।



ऑनलाइन परीक्षा की सीमाएं

 (Limitation of Online Exam) —


डिजिटल युग में कई शैक्षणिक संस्थान और सरकारी एजेंसियाँ तकनीक का उपयोग करती हैं लेकिन सच यह है कि तकनीक के कुछ नुकसान भी हैं, जो निम्नानुसार हैं-


  1. अधिकांश हितधारक ऑनलाइन/ई-परीक्षा संचालित करने के लिए समर्थ नहीं होते हैं। 


  1. ऑनलाइन/ई-परीक्षाओं के लिए विशेष रूप से विशिष्ट व्यवस्थाएँ और सुविधाओं के संचालन, संस्थानों और शिक्षकों के लिए विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता होती है। 


  1. इलेक्ट्रॉनिक मशीनों में तकनीकी त्रुटि की संभावना होती है और इसके कारण परिणाम पाने में असफलता हो सकती है। 


  1. सॉफ्टवेयर द्वारा परीक्षा में वायरस/बग/इंटरनेट आक्रमणों की समस्या ऑनलाइन/ई-परीक्षाओं के लिए एक खतरा है। 


  1. ऑनलाइन/ई-परीक्षा कराने की लागत अधिक होती है और यह कुछ संस्थाओं/संगठनों के लिए वित्तीय समस्याएँ पैदा करता है। 


  1. बच्चों को ऑनलाइन/ई-परीक्षाओं के लिए प्रशिक्षित होने की आवश्यकता है।


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