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Project Methool (योजना विधि)

योजना  (Project) किसी भी काम को करने से पहले उसका भौतिक या गैर भौतिक रूप से उसका रूपरेखा तैयार कर लेना ही योजना कहलाती हैं। योजना भविष्य के लिए कार्रवाई के एक विशेष पाठ्यक्रम को तय करने का एक व्यवस्थित प्रयास है, यह समूह गतिविधि के उद्देश्यों और उन्हें प्राप्त करने के लिए आवश्यक कदमों के निर्धारण की ओर जाता है। इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि योजना तथ्यों का चयन से संबंधित है और भविष्य में प्रस्तावित गतिविधियों के दृश्य और निरूपण के संबंध में मान्यताओं के निर्माण और उपयोग से वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए आवश्यक माना जाता है।

अस्थि बाधित बालक (Orthopedically Disabled Children)

अस्थि बाधित बालक (Orthopedically Disabled Children) परिचय — शारीरिक अशक्तता वाले बच्चों में अंग संचालन की समस्यायें पाई जाती हैं। अंग संचालन के दोषों का सम्बन्ध मांसपेशियों और शरीर के जोड़ों से है, जो अंगों अथवा हाथ पाँवों को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार की विषमताओं वाले विद्यार्थियों को, शिक्षण की उन गतिविधियों में, जिसमें शारीरिक क्रियाओं की आवश्यकता पड़ती है, सीखने में कठिनाई होती है। यद्यपि उनमें कक्षा के दूसरे बच्चों के समान ही अनुदेश द्वारा सीखने की मानसिक क्षमता होती है, परन्तु शारीरिक विषमता के कारण उन्हें अपने अध्ययन के समय विशेष समस्याओं का सामना करना  पड़ता है। उदाहरण के लिये यदि किसी बच्चे की उंगलियों की मांसपेशियाँ कठोर हो गई हैं, तो उसे लिखने में निश्चय ही कठिनाई होती है। कुछ बच्चों में बैठने आदि की मुद्रा को लेकर समस्याएं हो सकती हैं, जिससे वे शीघ्र ही थक जाते हैं। उन्हें सीखने में कठिनाई आती है ,और कुछ निश्चित क्रियाओं के सम्पादन में अधिक समय लेते हैं। प्रायः ऐसे बच्चों में कक्षा में समायोजन की समस्यायें भी पाई जाती हैं। अनेक बार कक्षा के अपने ही सहपाठी इन्हें नहीं ...

दृष्टिबाधित बालक (Visually Impaired Child)

दृष्टिबाधित बालक (Visually Impaired Child) प्रस्तावना — हम जानते हैं कि हम अपने आस-पास के परिवेश के बारे में जानकारी अपनी ज्ञानेन्दियों के माध्यम से उनके साथ सम्पर्क स्थापित कर करते हैं इसलिये ज्ञानेन्द्रियों को 'ज्ञान का द्वार' भी कहा जाता है मुख्यतः ज्ञानेन्द्रियां पांच प्रकार की होती है। ये पांच ज्ञानेन्द्रियां  क्रमशः आंख, कान, नाक, जिह्ना तथा त्वचा है। इन पाँचो इन्द्रियों का अपना महत्व है। परन्तु आंखों का महत्व जीवन में अतिविशेष है क्योंकि सबसे अधिक अनुभव हम आंखों से ही प्राप्त करते हैं।  यह एक प्रमाणित तथ्य है कि मनुष्य वातावरण से प्राप्त सभी सूचनाओं का लगभग 80 प्रतिशत आंखों के माध्यम से प्राप्त करता है। इसी कारण आंख को मस्तिष्क का बाह्य विस्तार भी कहा जाता है। ऐसे में यदि आंखों की कार्यक्षमता में रूकाबट उत्पन्न हो जाए या इसका शरीर में अभाव हो तो मानव दृष्टि जैसे प्राकृतिक उपहार से वंचित हो जाता है। प्रस्तुत इकाई में विस्तार से दृष्टिबाधिता का अर्थ, प्रकार, कारण एवं रोकथाम के साथ है दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लक्षणों सम्बन्धित जानकारियाँ प्रस्तुत हैं —

श्रवण बाधित बालक या श्रवण संबंधित दोष से ग्रसित बालक (Children With Hearing Impairments)

श्रवण बाधित बालक  या श्रवण संबंधित दोष से ग्रसित बालक (Children With Hearing Impairments)   प्रस्तावना – हम जानते हैं की मनुष्य अपनी इन्द्रियों के माध्यम से ही अपने वातावरण से जुड़ता है। पाँच प्रमुख इन्द्रियों में श्रवण एक महत्वपूर्ण इन्द्रिय है। क्योंकि न की यह सिर्फ वातावरण में मौजूद ध्वनियों को सुनने में सहायता करती है बल्कि वाणी एवं भाषा के विकास के लिए पूर्वपेक्षित भी है। श्रवण एक दूरस्थ इन्द्रिय के रूप में हमें खतरों से बचाती है बोलने की क्षमता प्रदान करने के साथ ही मनोरंजन हेतु स्वाभाविक इन्द्रिय की तरह भी कार्य करती है। श्रवण प्रक्रिया के बाधित होने से मनुष्य का सामान्य जीवन तथा उसका अन्य क्रियाकलाप के समस्त पहलु प्रभावित होते है। प्रस्तुत इकाई में विस्तार से श्रवण बाधिता का अर्थ, वर्गीकरण तथा विशेषताओं सम्बन्धित जानकारियाँ प्रस्तुत हैं। 

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