अपशब्दों का समाजशास्त्र: गालियाँ, शक्ति और संवेदना का संघर्ष
कभी आपने ध्यान दिया है कि गाली देने वाला व्यक्ति सिर्फ शब्द नहीं बोल रहा होता, वो अपने भीतर का एक भावनात्मक विस्फोट, सामाजिक असंतुलन, या आत्म-अभिव्यक्ति की छटपटाहट व्यक्त कर रहा होता है। गालियाँ सिर्फ अपशब्द नहीं हैं, वे हमारे समाज, हमारी परवरिश, और हमारी सामूहिक मानसिकता का आईना हैं। ये बताती हैं कि हम क्या सोचते हैं, किससे डरते हैं, और किस पर हावी होना चाहते हैं।