सरदार वल्लभभाई पटेल (31 अक्टूबर 1875 – 15 दिसंबर 1950)

आज़ादी के बाद जब एक ओर कुछ कट्टरपंथी विचारधाराएँ धर्म और मज़हब के नाम पर देश को बाँटने की साज़िश रच रही थीं, जब एक ऐसा राष्ट्र, पाकिस्तान, बनाया गया जो विविधता को नहीं, बल्कि एकरूपता की संकीर्ण सोच को पूजता था।

तब दूसरी ओर खड़े थे भारत के लौह पुरुष, सरदार वल्लभभाई पटेल।

वे उस विचार के प्रतीक थे, जो कहता था -


“भारत किसी एक मज़हब का नहीं, बल्कि उन सबका है जो इसकी मिट्टी से प्रेम करते हैं।”





उन्होंने भारत की एकता की नींव रखी- धर्म, भाषा, जाति और प्रांत से ऊपर उठकर। उनकी अदम्य इच्छाशक्ति और अटूट राष्ट्रनिष्ठा ने पाँच सौ से अधिक रियासतों को एक सूत्र में बाँधकर एक अखंड, अटूट, और अजेय भारत का निर्माण किया।


उन्होंने यह सिखाया कि —


राष्ट्र सीमाओं से नहीं, बल्कि एकता, समानता और आपसी सम्मान से बनता है।


सरदार पटेल केवल लौह पुरुष नहीं थे, वे भारत की आत्मा के शिल्पकार थे। उन्होंने एक ऐसे राष्ट्र का सपना देखा जहाँ लोकतंत्र केवल शासन प्रणाली न हो, बल्कि एक जीवन-मूल्य बन जाए।

जहाँ हर नागरिक समान अधिकार पाए, हर धर्म को सम्मान मिले और हर भाषा, हर संस्कृति को अपनी जगह मिले।उन्होंने जो भारत गढ़ा, वह किसी एक विचारधारा का भारत नहीं था, बल्कि सैकड़ों विचारों के संगम से बना “विविधता का भारत” था।

आज, जब कुछ संगठन या विचारधाराएँ फिर से “सुप्रीमेसी” और “एकरूपता” के नाम पर भारत की नींव में दरार डालने की कोशिश करती हैं, तो हमें याद रखना चाहिए कि यह देश किसी एक समुदाय, किसी एक विचार या किसी एक मत का नहीं है। भारत की असली शक्ति उसकी विविधता में है।

जो भी इस विविधता को कुचलने की कोशिश करेगा, वह न केवल सरदार पटेल के सपने का, बल्कि भारत की आत्मा का अपमान करेगा और ऐसे किसी भी प्रयास के सामने हम भारत के नागरिक सबसे पहले, डटकर और निडर होकर खड़े होंगे।

क्योंकि यह देश बना है —

  • लोकतंत्र से,
  • समाजवाद से,
  • धर्मनिरपेक्षता से,
  • और सबसे बढ़कर आपसी सम्मान से।


"राष्ट्र धर्म से नहीं, कर्म से बनता है और भारत की पहचान उसकी विविधता में निहित है, न कि किसी एक विचार में।"


इसीलिए, सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती और राष्ट्रीय एकता दिवस के इस ऐतिहासिक अवसर पर, हमें याद रखना होगा कि एकता केवल नारा नहीं यह हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।

आज जब कुछ शक्तियाँ समाज को मत, मज़हब या भाषा के नाम पर बाँटने का प्रयास करती हैं तो पटेल का जीवन हमें प्रेरित करता है कि विचारों की भिन्नता के बीच भी राष्ट्र की अखंडता सर्वोपरि है।

भारत का सार है उसकी विविधता में सह-अस्तित्व, उसका गर्व है उसकी लोकतांत्रिक चेतना, और उसकी आत्मा है उसकी समानता और भाईचारा।

आइए, आज हम यह प्रण लें, कि कोई भी विचारधारा, कोई भी संगठन या कोई भी शक्ति अगर इस देश की मूल आत्मा को कमजोर करने की कोशिश करेगी, तो सबसे पहले आवाज़ हमारी उठेगी।

आज उनकी जयंती पर हम उनके विचारों को जीवित रखें, उनके सिद्धांतों की रक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि भारत हमेशा विविधता में एकता का सबसे उज्ज्वल उदाहरण बना रहे।

क्योंकि यही होगा —

लौह पुरुष सरदार पटेल के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि। 


जय हिन्द!

जय भारत!

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