भाषा (Language)
- भाषा हमारे विचारों को व्यक्त करने तथा दूसरों के विचारों को समझने का एक साधन है।
- केवल संप्रेषण का माध्यम ही नहीं इसके अन्य कुछ प्रकार्य है:
1. भाषा विचारों के आदान-प्रदान के साधन के रूप में
2. भाषा सामाजिक जीवन को सार्थक करने के रूप में
3. भाषा ज्ञान प्राप्ति के साधन के रूप में
4. भाषा साहित्य, कला, संस्कृति और सभ्यता को विकसित करने में सहायक के रूप में
भाषा अर्जन (Acquisition)
परिभाषा: मनुष्य में जन्मजात क्षमता है भाषा को अर्जित करने की जिसका प्रयोग करके मनुष्य वार्तालाप करना व भाषा का सहज रूप से प्रयोग करना सीख जाता है बिना किसी विशेष प्रयास के इसी को भाषा अर्जन कहते हैं। e
1. स्वाभाविक प्रक्रिया
2. वातावरण का प्रभाव
3. सहज प्रक्रिया
4. अचेतन या अवचेतन प्रक्रिया
5. अर्जन का संबंध मातृभाषा से ज्यादा
6. अनौपचारिक प्रक्रिया है।
* भाषा अर्जन किस वजह से होता है?
हमारे अंदर आंतरिक क्षमता है की हम भाषा को स्वाभाविक रूप से अर्जित कर ले अपने पर्यावरण से। जैसे- जबसे बच्चा पैदा होता है तब से परिवार वाले उससे बातें करते हैं जैसे बच्चे को भाषा आती है, किन्तु बच्चा ऐसे ही भाषा अर्जित करता है पर्यावरण से सुनकर देखकर बोलकर इत्यादि ।
* मातृभाषा क्या है? *
किसी भी व्यक्ति के लिए भाषा का पहला रूप। अतः बच्चे के घर में बोली जाने वाली भाषा मातृभाषा कहलाती है।
Definition: भाषा अर्जन एक ऐसी प्रक्रिया जो बिल्कुल स्वाभाविक है। सामान्यतः बच्चा मातृभाषा का अर्जन परिवार से ही कर लेता है, स्कूल आने से पहले से ही वे मातृभाषा में अपनी बात कहने व समझने में सक्षम होता है।
* भाषा अधिगम *
अधिगम में प्रयास की आवश्यकता पड़ती है। चेतन रूप से सीखी जाती है, नियम सीखने होते हैं, किताबें पढ़नी होती हैं। कौशल सीखने होते हैं। शिक्षकों की जरूरत पड़ती है। अतः भाषा अधिगम एक औपचारिक प्रक्रिया है।
- अधिगम का संबंध दूसरी भाषा से है।
- स्किनर के अनुसार भाषा अनुकरण पुर्नबलन से सीखी जाती है।
- वाइगोत्सकी के अनुसार, भाषा सामाजिक क्रिया द्वारा सीखी जाती है।
- व्याकरण को संदर्भ में सिखाया जाना चाहिए।
- भाषा सीखने के लिए प्रिंट समृद्ध वातावरण दिया जाना चाहिए।
भाषा अर्जन व भाषा अधिगम में अंतर क्या है?
भाषा अर्जन भाषा अधिगम
1. अवचेतन प्रक्रिया चेतन प्रक्रिया
2. स्वाभाविक प्रक्रिया नियमबद्ध प्रक्रिया
3. अनौपचारिक प्रक्रिया औपचारिक प्रक्रिया
4. मातृभाषा दूसरी भाषा
* भाषा अर्जन व भाषा अधिगम का मुख्य अंतर क्या है?
- मातृभाषा हमेशा अर्जित की जाती है।
- बच्चा एक से अधिक भाषाएँ भी अर्जित कर सकता है (वातावरण से )
लक्ष्य भाषा (Target language)
- दूसरी भाषा या स्कूल की भाषा।
मातृभाषा (Mother tongue)
• भाषा के विविध रूप •
- मातृभाषा(Mother Tongue) — पहला रूप
- राष्ट्रभाषा (National Language) — कोई नहीं (संवैधानिक तौर पर हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है।)
- राज भाषा (Official Language) — हिन्दी औपचारिक भाषा
- 1963 के OLA (Official Language Act) के तहत Article 343(1) हिन्दी राजभाषा है।
* भाषा सीखने के चरण*
1. कूकना (Cooing) — 6 सप्ताह
2. बलबलाना (Babbling) — 1-6 माह
3. एक शब्द चरण (One wordStage) — 1 साल 4.
4. टेलीग्राफिक व दो शब्द चरण — 18 माह से 24 माह (1.5 वर्ष से 2 वर्ष)
5. लम्बे उच्चारण - 2 साल से 4 साल
• प्रोफेसर स्मिथ के अनुसार •
• 1 साल में - 3 शब्द
• 2 साल में - 272 शब्द
• 5 साल में - 2072 शब्द
भाषा शिक्षण की प्रमुख विधियाँ
1. व्याकरण विधि
2. व्याकरण- अनुवाद विधि
3. प्रत्यक्ष विधि
4.सम्मिश्रण विधि
5. संप्रेषणपरक विधि
6. आगमन विधि
7. निगमन विभि
1. व्याकरण विधि
- इस विधि के अंतर्गत अन्य भाषा के नियमों को कुछ शब्दों के साथ सिखाया और याद कराया जाता है।
- इसके बाद शब्द संयोजन और व्याकरणिक नियमों के आधार पर अभ्यास कराए जाते हैं।
2. व्याकरण- अनुवाद विधि
- यह विधि उन्नीसवीं शताब्दी के अंत तक परंपरागत (Traditional) और मान्य विधि के रूप में पचलित रही।
- इसमें व्याकरण और अनुवाद दो विधियों परस्पर संयोजित हैं।
- इस विधि में बच्चे लक्ष्य भाषा पढ़ना लिखना तो सीख लेते हैं परन्तु बोलने के ज्यादा अवसर नहीं मिलते।
- इस विधि में बच्चे की मातृभाषा में अनुवाद के माध्यम से लक्ष्य भाषा सिखाई जाती है।
3. प्रत्यक्ष विधि (Direct Method)
- व्याकरण- अनुवाद विधि की अनेक सीमाओं के कारण प्रत्यक्ष विधि का आविर्भाव हुआ।
- इसे मौखिक वार्तालाप विधि भी कहा जाता है।
- इस विधि में शिक्षार्थी को मातृभाषा की मध्यस्थता के साथ अन्य भाषा सिखाई जाती है। इस विधि में बच्चे की मातृभाषा का प्रयोग नहीं किया जाता केवल लक्ष्य भाषा को आधार बनाया जाता है।
4. सम्मिश्रण विधि
- इस विधि के अंतर्गत भाषा शिक्षण की प्रक्रिया के व्यावहारिक पक्षों का सम्मिश्रण है।
- इस सम्मिश्रण विधि में शिक्षक भाषा शिक्षण के विभिन्न उद्देश्यों के अनुरूप और शिक्षण प्रक्रिया के विभिन्न चरणों पर किसी भी विधि का चयन कर सकता है।
5. संप्रेषणपरक विधि (Communicative Method)
- प्रत्यक्ष विधि की प्रक्रिया को और शुद्ध बनाते हुए संप्रेषणपरक विधि का विकास हुआ। भाषा प्रयोग सीखने में ही भाषा की संरचना सीखना है। यह स्वाभाविक रूप से भाषा के प्रयोग पर बल देती है, संप्रेषण के माध्यम से भाषा सीखी जाती है।
6. आगमन विधि (Inductive Method)
- विशिष्ट से सामान्य की ओर ज्ञात से अज्ञात की ओर।
उदाहरण: पहले संज्ञा के उदाहरण देते हुए बाद में परिभाषा बताना।
7. निगमन विधि (Deductive Method)
- सामान्य से विशिष्ट की ओर।
उदाहरण: पहले परिभाषा बताना फिर उसके उदाहरण व प्रश्न हल करवाना।
* जीन पियाजे *
- जीन पियाजे ने भाषा को संज्ञानात्मक विकास के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण नहीं माना है।
Q. अहमकेंद्रित वाक् क्या होता है?
Ans - अहमकेंद्रित वाक् का मतलब है कि बच्चा खुद से ही बोल बोल कर बात करता है। (2-6) वर्ष की उम्र में।
* भाषा एवं विचार- पियाजे *
• जीन पियाजे कहते हैं की पहले विचार आया फिर भाषा आयी।
• जीन पियाजे ने कहा है कि विचार से भाषा आती है। और विचार भाषा को सुनिश्चित भी करता है।
* लेव वाइगोत्सकी *
• बालक भाषा अपने परिवेश से अंतःक्रिया ( Interact) करते हुए सीखता है।
• इनके अनुसार, निजी भाषा (Private Speech) बालक के संज्ञानात्मक विकास में सहायक होती है।
• लेव वाइगोत्सकी कहते हैं कि भाषा मानव का सर्वश्रेष्ठ यंत्र है। जिसके द्वारा हम ज्ञान का निर्माण कर सकते हैं। समझ सकते हैं और समझा सकते हैं (Language is a tool)
• लेव वाइगोत्सकी के सिद्धांत का नाम: सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत है।
• अंतरीकरण (Internalisation) — बालक बाहरी वातावरण के अवलोकन को अपने भीतर आत्मसात करके सीखता है। यह संज्ञानात्मक विकास व भाषा दोनों के विकास में सहायक है।
लेव वाइगोत्सकी के सिद्धांत में भाषा के तीन महत्त्वपूर्ण पक्ष -
1. सामाजिक वाक् (Social Speech) (2 वर्ष की उम्र में)
2. निज वाक् (Private Speech) (3-6 वर्ष की उम्र )
3. आन्तरिक मौन वाकू (Silent Inner Speech) (6 वर्ष के बाद)
*भाषा और विचार*
वाइगोत्सकी के अनुसार, शुरुआती सालों में भाषा और विचार एक-दूसरे से स्वतंत्र होते हैं एक समय के बाद मिल जाते हैं।
* नोम चोमस्की *
• प्रत्येक बालक भाषा सीखने की जन्मजात शक्ति/ क्षमता के साथ पैदा होता है (Imminte Ability to acquire language)
• जिसे भाषा अर्जन मंत्र (LAD) कहा जाता है।
(LAD-Language Acquisition Device)
• विश्व की सभी भाषाएँ एक ही मूल व्याकरण (Umvenal Grammar से संबद्ध हैं जिसे समझने में भाषा अर्जन यंत्र (LAD) हमारी सहायता करता है।
• भाषा अर्जन यंत्र (LAD) पाँच साल तक ज्यादा सक्रिय रहता है। यह संवेदनशील काल होता है भाषा सीखने के लिए)
* भाषा कौशल *
1. सुनना
2. बोलना
3. पढ़ना
4. लिखना
गृह्यात्मक कौशल — सुनना, पढ़ना
अभिव्यक्तात्मक कौशल — लिखना, बोलना
- भाषा कौशल का मनोवैज्ञानिक क्रम-
1. सुनना
3. पढ़ना
2. बोलना
4. लिखना
• भाषा के मुख्य चारों कौशल (सुनना, बोलना, पढ़ना लिखना) एकीकृत व अंतः संबंधित हैं।
• सुनना और पढ़ना गृह्यात्मक कौशल है।
• बोलना और लिखना अभिव्यक्तात्मक कौशल है।
• भाषा कौशल सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना के क्रम में सीखे जाते हैं परन्तु केवल इसी क्रम में सौखे जाते है ऐसा नहीं है।
1. सुनना
• बच्चों को सुनने का मौका देंगे।
• बच्चों से शब्दों का उच्चारण करवाना।
• कहानी व कविता सुनाना।
2. बोलना
• कविता का पठन
• संवाद कर सकते हैं।
• मौखिक प्रश्न पूछ सकते है।
• बच्चों से किसी भी विषय पर टिप्पणी करने को कह सकते हैं।
3. पढ़ना
• पढ़ने के कौशल को वाचन भी कहते हैं।
पढ़ना = Silent reading मौन पठन
Loud reading सस्वर पठन
मौन पठन —
• मौन पठन से बच्चे का ध्यान बेहतर होगा।
• बच्चे का उच्चारण अच्छा होगा।
• तेजी से पढ़ सकेगा।
• ज्यादा विषय पढ़ सकेगा।
सस्वर पठन —
• सुनने और बोलने के कौशल बेहतर होंगे।
• सस्वर पठन से रस भी आता है।
4. लिखना
• अध्यापिका बच्चे की वर्तनी (Spelling) की अशुद्धियों को ठीक कराने के लिए श्रुतलेख का प्रयोग किया जाएगा।
* लेखन के प्रकार *
• सुलेख: सुन्दर लेख
• श्रुतलेखः बर्तनों की अशुद्धियां दूर कराना
• अनुलेख: अक्षरों का अनुरेखण (ट्रेस) करना।
भाषायी विकार (Language disabilities)
1. अफेशिया (Aphasia) - अफेशिया के कारण सुनने, समझने और बात करते समय भाषा के उपयोग में समस्याएँ आती हैं।
2. डिस्लेक्सिया — पठन अक्षमता (पढ़ने व लिखने में समस्या )
* शिक्षण: त्री-आयामी (जॉन डीवी) *
* शिक्षण सूत्र (Teaching Maxims) *
• ज्ञात से अज्ञात की ओर
• मूर्त से अमूर्त की ओर सरल से जटिल की ओर।
शिक्षण सहायक सामग्री
(Teaching Learning Material)
• दृश्य सामग्री (चार्ट)
• श्रव्य सामग्री (रेडियो)
• दृश्य-श्रव्य सामग्री (टीवी)
• क्रिया-सहायक सामग्री (फील्ड ट्रिप)
दृश्य सामग्री (Visual Aid)
1. श्यामपट्ट (Black Board)
2. पाठ्यपुस्तक
3. चार्ट
4. मानचित्र
श्रव्य सामग्री (Hearing Aid)
1. रेडियो
2. माइक्रोफोन
3. एम्पलीफायर
4. टेप रिकॉर्डर
दृश्य-श्रव्य सामग्री
(Audio Visual Aid)
1. फिल्म प्रोजेक्टर
2. टेलीविजन
3. चलचित्र
क्रिया-सहायक सामग्री
1. किसी ऐतिहासिक संग्रहालय उद्यान का भ्रमण करना।
मूल्यांकन एवं उपचारात्मक शिक्षण
मूल्यांकन एक ऐसी निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिससे शिक्षक छात्र के ज्ञान व सीखने की प्रक्रिया का आकलन करते हैं।
Q. आंकलन का क्या उद्देश्य होता है?
1. जो शिक्षक ने छात्र को सिखाया है वह छात्र के द्वारा कितना सीखा गया है।
2. छात्रों की समस्या को दूर करना।
3. छात्रों की योग्यता, रुचि, कुशलताओं को पहचानकर उनके अनुसार शिक्षण विधि को तैयार करना ।
मूल्यांकन = आकलन + मापन
• आंकलन (Assessment में यह देखते हैं कि बच्चा कैसे सीखता है।
• मापन (Measurement) में यह देखते हैं कि बच्चे ने कितने प्रतिशत सीखा है। • आकलन व मापन दोनों मूल्यांकन का हिस्सा हैं।
निदानात्मक परीक्षण (Diagnostic Test)
जब शिक्षक छात्रों को किसी विषय में कार्य करने को देता है और उसमें छात्र असफल या कठिनाई अनुभव करता है तो छात्र की असफलता व कठिनाई के पीछे का कारण जानना ही 'निदान' कहलाता है।
उपचारात्मक शिक्षण (Remedial Teaching)
जब शिक्षक बच्चों की कमियों को दूर करके दोबारा से शिक्षण करवाता है तो वह उपचारात्मक शिक्षणकहलाता है।
Note: निदान के बाद उपचारात्मक शिक्षण किया जाता है।
उपलब्धि परीक्षण
• इस परीक्षा का प्रमुख उद्देश्य यह अनुमान लगाना होता है कि शिक्षण कार्यक्रम से शिक्षार्थी ने क्या सीखा।
• भाषा कौशलों को कहाँ तक सीख पाया और उनके आधार पर भाषा का प्रयोग किस हद तक उपयुक्त ढंग से कर पाया है आदि।
दक्षता परीक्षा
• इसमें यह जाना जा सकता है कि शिक्षार्थी शिक्षण विषय को कहाँ तक समझ पाया है और भाषा कौशलों में उसकी दक्षता या प्रवीणता का स्तर कितना है।
अभिरुचि परीक्षा
(Aptitude Test)
• इससे यह पता चलता है कि शिक्षार्थी भाषा सीखने के लिए उपयुक्त अभिरुचि रखता है अथवा नहीं।
• यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि शिक्षार्थी अपेक्षित शिक्षण में सफल हो पाएगा या नहीं।
• इसके लिए यह आवश्यक नहीं कि शिक्षार्थी को लक्ष्य विषय का पूर्व ज्ञान हो किंतु दक्षता परीक्षा के लिए लक्ष्य विषय का ज्ञान होना आवश्यक है।
मुख्य कौशल (Primary Skill )—
1. सुनना
2. बोलना
पुनर्बलन (Reinforcement Skill) —
1. बोलना
2. लिखना
बहुभाषिकता (Multilingualism)
• NCF बहुभाषिता को संसाधन मानता है।
• बहुभाषिता का मतलब है, एक ही कक्षा में कई भाषा बोलने वाले बच्चे होना।
• बहुभाषी कक्षा में बच्चे की मातृभाषा को संसाधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
पाठ्यपुस्तक (Text Book)
• कई संसाधनों में से एक संसाधन है. लेकिन एकमात्र संसाधन नहीं है।
• रंग-बिरंगी होनी चाहिए।
• आसान भाषा में होनी चाहिए (बोल चाल की भाषा)
• व्यावहारिक ज्ञान पर आधारित ।
• बच्चे के स्तर के अनुरूप होनी चाहिए।
त्रिभाषा सूत्र —
1964-66 में कोठारी आयोग द्वारा त्रिभाषा सूत्र की संकल्पना दी गई।
1. पहली भाषा के रूप में मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा को पढ़ाया जाए।
2. द्वितीय भाषा के रूप में हिंदी भाषी राज्यों में कोई भी आधुनिक भारतीय भाषा या अंग्रेजी को और गैर हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिन्दी भाषा को द्वितीय भाषा के रूप में पढ़ाया जाए।
3. तृतीय भाषा के रूप में हिंदी भाषी तथा गैर हिंदी भाषी दोनों राज्यों में अंग्रेजी या कोई भी ऐसी आधुनिक भारतीय भाषा जिसे द्वितीय भाषा के रूप में न पढ़ाया गया हो।
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